अपनी सुधारवादी परंपराओं के कारण महाराष्ट्र का कोल्हापुर हमेशा ही किसी ना किसी मुददे को लेकर चर्चाओं में रहा है लेकिन अपनी 45 वर्षीय विधवा मां के लिए जीवनसाथी ढूंढकर उनका पुनर्विवाह कराने के मामले में 23 साल के युवराज शेले आजकल चर्चाओं में हैं। बताते हैं कि जब वो 18 साल के थे तब उनके पिता की मौत हो गई और उसके बाद जो मां ने जीवन जीया वो उनके लिए भी पीड़ादायक था क्योंकि यह किसी से छिपा नहीं है कि समाज में मीठी मीठी बात करने वाले सफेदपोश रंगे सियार मौका मिलते ही कैसे निभाने लगते हैं यह सभी जानते हैं लेकिन वाकई में ऐसे विवाह को लेकर कितनी अड़चन आती होंगी वो जगजाहिर है। और 25 साल के वैवाहिक जीवन जी चुकी युवराज शेले की 45 वर्षीय मां रत्ना को यह निर्णय लेने के कितना संघर्ष करना पड़ा होगा वो कोई मुक्तभोगी ही जान सकता है। लेकिन इच्छा है तो सबकुछ हो सकता है। कुछ रिश्तेदारों और दोस्तों के माध्यम से मारूतिधनवत नामक व्यक्ति के बारे में शैल को पता चला तो उन्होंने उनसे संपर्क किया और बीते कुछ समय से एकाकी जीवन जी रहे धनवत ने भी सोच विचार कर अपना पति खोकर जीवन जी रही रत्ना से शादी का मन बना लिया। और खबरों के अनुसार तमाम अड़चनों और बाधाओं को नकारते हुए एक सही मायनों में माता प्रिय बेटे ने अपनी मां की शादी कराने में सफलता प्राप्त कर ही ली। मेरा मानना है कि जब पत्नी के निधन पर पुरूष को शादी करने की अनुमति है तो फिर महिलाओं को क्यों नहीं। बताते हैं कि सैंकड़ों साल पूर्व होल्कर साम्राज्य की बहु अहिल्याबाई द्वारा पति की मौत के बाद विधवा विवाह की जो लौ जलाई थी भले ही वो अभी पूरी तौर पर समाज के विचारों को रोशन ना कर पा रही हो लेकिन अब जब बेटे अपने अकेले रहे गए मां या बाप की शादी कराने का निर्णय लेने लगे तो यह बात विश्वास से कही जा सकती है कि समाज में जागरूकता आ रही है और देर सवेर अब विधवा और विधुर के लिए भी सामूहिक विवाह समारोह बड़ी तादात में आयोजित होने लगेंगे। इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि अभी भी देश में लड़कियों की संख्या कम होने के चलते अच्छा कमाने और सुंदर पुरूष भी बिना विवाह के कई कारणों से एकल जीवन यापन करने के लिए मजबूर हैं लेकिन अगर विधवा विवाह समारोह आयोजित होने लगे या बच्चे अपने मां बाप की परेशानी व इच्छा को समझने लगे तो अब किसी भी महिला या पुरूष को अकेले रहने की जरूरत नहीं होगी। समाज में वह व्यंगय सहने की बजाय जीवनसाथी के साथ खुशहाल जीवन जी सकता है। मेरा तो मानना है कि युवराज शेले को सामाजिक संगठनों और महाराष्ट सरकार द्वारा सम्मानित कर उनकी सोच को आगे बढ़ाने का काम करना चाहिए। समाज सुधार और महिला उत्थान के लिए वक्त की यह सबसे बड़ी मांग कही जा सकती हैं।
– रवि कुमार बिश्नोई
संस्थापक – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन आईना
राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय समाज सेवी संगठन आरकेबी फांउडेशन के संस्थापक
सम्पादक दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
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