दैनिक केसर खुशबू टाइम्स
मेरठ, 14 जून। बढ़ती बीमारियों और दुर्घटनाओं की संख्या में हो रहे इजाफे के चलते मरीजों के लिए रक्त की मांग जहां तक नजर आता है बढ़ती ही जा रही है। देश में हर साल लगभग 1.5 करोड़ रक्त की यूनिट की जरूरत पड़ती है जिसमें से 1.4 करोड़ की ही पूर्ति हो पाती है जिससे जरूरतमंदों को आसानी से रक्त उपलब्ध नहीं हो पाता है। शायद इसीलिए हर वर्ष 14 जून को रक्तदान की भावना को प्रोत्साहित करने और जो लोग रक्तदान करते हैं उनका मान सम्मान बढ़ाने हेतु रक्तदान दिवस मनाया जाता है।
आज उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल द्वारा लखनऊ के केजीएमयू के हॉल में आयोजित समारोह में कहा गया कि यातायात नियमों का पालन ना करने वाले लोगों से कराया जाए रक्तदान। उन्होंने कहा कि इसके लिए नए तरीके तलाशने के क्रम में प्रदेश की जेलों में रक्तदान शिविर लगाए जा सकते हैं। लेकिन मेरा मानना है कि जरूरतमंदों की जान बचाने के लिए रक्तदान वक्त की सबसे बड़ी आवश्यकता है। इसलिए मुझे लगता है कि जिस प्रकार से अन्नदान नेत्रदान और जलदान की भावना से हर व्यक्ति को प्रेरित किया जा रहा है अब समय आ गया है कि रक्तदान के लिए भी इसी प्रकार से बचपन से ही बच्चों को प्रेरित किया जाए जिससे वो 18 साल की उम्र के बाद रक्तदान में सहभागिता निभा सके। बताते हैं कि 18 से 60 साल के बीच 43 किलोग्राम से ज्यादा होमोग्लोबिन और 12.5 फीसदी है तों आप रक्तदान के पात्र हो जाते हैं। क्योंकि एक बार में 350 ग्राम खून लिया जाता है। इसलिए कोई नुकसान भी नहीं होता।
जाने माने चिकित्सक डॉ. तनुराज सिरोही का कहना है कि अगर आप रक्तदान करना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रख आसानी से रक्तदान कर सकते हैं। इनके अनुसार रक्तदान करने वालांे को दिल का दौरा पड़ने की संभावना कम हो जाती है। दिल की बीमारी की संभावना भी कम हो जाती है। बीपी नियंतत्रण में रहता है। कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है। अगर हाल में मलेरिया हुआ तो तीन माह तक रक्तदान ना करे। टायफाइड से ठीक हुए हैं तो एक साल तक रक्तदान ना करें। टीबी के मरीज ठीक होने के बाद दो साल तक रक्तदान ना करें।
देश में कितने ही ऐसे लोग हैं जो सौ से ज्यादा बार रक्तदान कर चुके हैं और हमेशा स्वस्थ व प्रसन्न नजर आते हैं जो इस बात का प्रतीक है कि आसानी से रक्तदान का नुकसान नहीं होता है।
एक खबर के अनुसार सामान्य स्थितियों में पंजीकरण, स्वास्थ्य जांच व रक्तदान की पूरी प्रक्रिया एक घंटे में हो जाती है। रक्तदान में करीब 10 से 15 मिनट लगते हैं और उसके बाद कुछ समय आराम के लिए होता है।
अपोलो हॉस्पिटल से जुड़े वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. वरुण बसंल के अनुसार, रक्तदान के समय अगर ब्लड प्रेशर और मधुमेह नियंत्रित है तो आप रक्तदान कर सकते हैं। इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप बीपी या डायबिटीज की दवा ले रहे हैं। इसी तरह थायरॉइड, कोलेस्ट्रॉल या गर्भनिरोधक दवाएं ले रहे हैं तो भी रक्तदान कर सकते हैं। अगर हाल ही में कोई बड़ी सर्जरी हुई है या दिल की कोई गंभीर समस्या है या जो एंटीबायोटिक दवाएं ले रहे हैं, उन्हें रक्तदान से मना किया जाता है। जिस संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक दवाएं ले रहे हैं, उसके पूरी तरह ठीक होने के बाद रक्तदान कर सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को और जिन्हें खून की कमी हैं, उन्हें रक्तदान करने की मनाही होती है।
रक्तदान के लिए एक बार इस्तेमाल होने वाली सुई प्रयोग की जाती है। पूरी प्रक्रिया कुशल डॉक्टर पूरी करते हैं। इस दौरान किसी तरह की संक्रामक बीमारी से संपर्क न हो, यह सुनिश्चित करते हैं।
सभी ग्रुप के खून महत्वपूर्ण होते हैं। हालांकि, कुछ कम मिलने वाले ब्लड ग्रुप की चर्चा अधिक होती है, पर सामान्य ब्लड ग्रुप भी उतने ही जरूरी हैं।
18-60 वर्ष के स्वस्थ स्त्री/पुरुष जिनका वजन 50 किलोग्राम या उससे अधिक है, पल्स रेट 60-100 के मध्य और हीमोग्लोबिन 12.5 ग्राम से अधिक हो रक्तदान कर सकता है।
रक्तदान में कुल खून की मात्रा का थोड़ा-सा अंश लिया जाता है। हमारे शरीर में लगातार खून बनता रहता है। रक्तदाता के भार के आधार पर 350 मिलिलीटर से 450 मिलिलीटर खून लिया जाता है। प्लाज्मा की पूर्ति 24 से 48 घंटे व लाल रक्त कोशिकाओं की पूर्ति कुछ सप्ताह में हो जाती है।
इस संबंध में अलग-अलग देश व हॉस्पिटल्स की गाइडलाइंस अलग-अलग है। जिस केंद्र में रक्तदान किया जा रहा है, वहां इस बारे में पूछें।
तो दोस्तों वैसे तो हम आए दिन कोई ना कोई दिवस मनाते चले आ रहे हैं और यह भी सही है कि जो दिवस मनाते हैं उससे संबंध खामियां ज्यादातर मामलों में बढ़ती जाती है लेकिन इस दृष्टिकोण से सिर्फ यही कह सकता हूं कि आओ रक्तदान दिवस पर जरूरतमंदों की मदद के लिए इससे संबंध नियमों और व्यवस्थाओं का ध्यान रखते हुए खुलकर करें रक्तदान। मानव से मानव के रिश्तों को और मजबूत करने भाईचारा सदभाव और राष्ट्रीय एकता के लिए रक्तदान करने का संकल्प लें। अगर हम इस पर खरे उतरे हैं तो किसी भी जरूरतमंद के लिए रक्त का पता चले तो उसकी मदद करें और अपने डॉक्टर से सलाह कर अपना फोन और पता रक्तदान शिविर लगाने वालों के साथ ही ब्लड बैंकों में अंकित करा दें जिससे आवश्यकता पड़ने पर जरूरतमंद के लिए खून देने के लिए आप उपलब्ध हो सकें। रक्तदान को भी अन्नदान और नेत्रदान की तरह बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है जिसमें हमें पीछे नहीं रहना चाहिए।
बताते चलें कि हर क्षेत्र में जनहित के कार्य पूर्ण कराने में लगा सोशल मीडिया रक्तदान हेतु नागरिको को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
(प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महासचिव एवं मजीठिया बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य संपादक व पत्रकार)