मेरठ 03 जुलाई (प्र)। कावंड मेले की तैयारियां उत्तराखंड और यूपी के इससे प्रभावित होने वाले जिलों के अधिकारियों के साथ साथ प्रदेश स्तर के अफसरों के बीच भी हो रही है। हर वर्ष इस मौके पर शिवरात्रि पर भगवान भोले शंकर को जल चढ़ाने के लिए हरिद्वार गंगोत्री आदि से पवित्र जल भरकर लाने वाले कांवडियों की बढ़ती तादाद को ध्यान में रखते हुए व्यवस्था बनाने के लिए इन बैठकों का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर विषय पर पूर्व के अनुभवों के आधार पर पुलिस व प्रशासन सहित अन्य विभागों के अफसर जो गहन मंथन कर रहे है उसे देखकर यह कहा जा सकता है कि कांवड़ यात्रा और भगवान को जल अर्पण का धार्मिक कार्य निर्वहन रूप से संपन्न हो जाएगा। अगर जिम्मेदार अधिकारियों ने तय निर्णयो के अनुसार काम किया तो।
माननीय मुख्यमंत्री जी कांवड़ मेला बहुसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है यह निर्विहन रूप से संपन्न हो सब चाहते है और सहयोग भी करते है लेकिन सहारनपुर मुजफ्फरनगर मेरठ गाजियाबाद हापुड़ आदि जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिये जाए कि मेले के दौरान कांवडियों के आने वाले रास्ते में जो गांव व कालोनियां पड़ती है उनके निवासियों को आवागमन में कोई समस्या न हो इसका भी ध्यान रखा जाए क्योंकि पूर्व में देखा गया है कि तीन चार दिन रास्ते में पड़ने वाले गांव व कालोनियों के मार्ग बंद कर दिये जाते है और जो कट खोले जाते है उनसे भी सड़क के इधर उधर गांव व कालोनियों के गली मौहल्लों में नहीं जाने दिया जाता जिस वजह से हरिद्वार से लेकर दिल्ली तक लाखों नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। भले ही कम चौड़े या भीड़ भाड़ वाले जगहों पर आवागमन के लिए कट न खोले जाए लेकिन थोड़ा आगे पीछे से कट खोलकर इनके निवासियों को आने जाने की सुविधा दी जाए। क्योंकि किसी भी व्यवस्था का यह मतलब नहीं है कि व्यवस्था व इंतजाम के नाम पर आम नागरिकों को घरों में बंद कर दें।