मेरठ 20 जुलाई (प्र)। कैंट विधायक अमित अग्रवाल ने कहा कि ग्रामीणों द्वारा दी गई जमीन पर छावनी को बनाया गया था। इसके लिए ग्रामीणों को किराया दिया जाता था कुछ दस्तावेजों का हवाला देकर विधायक ने कहा कि जमींदारी प्रथा के नाम पर संपूर्ण जमीन सेना की नहीं हो सकती। कैंट बोर्ड और रक्षा संपदा अधिकारी अब इस जमीन को अपना बता रहे हैं संपूर्ण छावनी की जमीन प्रदेश सरकार की है। ऐसे में इस पर लँड यूज परिवर्तन का विषय नहीं है प्रदेश सरकार को पूरा अधिकार है कि इस भूमि का कैसे प्रयोग किया जाए।
ईस्टर्न कचहरी रोड स्थित कार्यालय पर पत्रकार वार्ता में विधायक ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि 1939 और कई संपत्तियों पर आजादी के बाद भी जमीन की एवज में किराया दिया जाता था। जमींदार एक्ट के बाद कैंट बोर्ड और रक्षा संपदा विभाग से संपूर्ण संपत्ति को अपना बताना शुरू कर दिया। अब जब पुनः सरकार ने मर्जर का निर्णय लिया है तो लैंड यूज विषय पर सोचने की आवश्यकता ही नहीं है। संपत्ति पूरी तरह प्रदेश सरकार की होगी। विधायक ने छावनी के बंगला क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों को नगर में शामिल करने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री से मुलाकात की और स्थिति से अवगत कराया। विधायक के मुताबिक छावनी की स्थापना दो चरणों में हुई थी।
प्रथम चरण में 1803 में जिले के अब्दुल्लापुर, नंगला बट्टू, औरंगशाहपुर डिग्गी, कसेरू बक्सर, पीलना सोफीपुर, रोशनपुर आदि के किसानों से मासिक भत्ते पर जमीन ली गई। द्वितीय चरण में 1859 में न्यू मेरठ कैंट में नाम से फाजलपुर और औरंगशाहपुर गोलाबढ़ की मासिक भत्ते पर जमीन ली। विधायक ने कहा कि उस समय अंग्रेजी फौज ने ग्रामीणों को वेदखल कर दिया, तब किसानों को मुआवजा भी नहीं दिया गया। आजादी के बाद भारत सरकार अस्तित्व में आई कैंट बोर्ड और रक्षा संपदा अधिकारी अब इस जमीन को अपना बता रहे हैं।
1,454 एकड़ भूमि की जाए नगर निगम में शामिल
विधायक ने कहा कि नियमानुसार 1,454 एकड़ भूमि नगर निगम को दी जानी चाहिए। डोगरा रेजिमेंट गेट के बाहर दक्षिणी कोने से तोपखाने की तरफ सिविल आबादी, मॉल रोड के बंगले सिविल आबादी से जोड़े जाएं। रजबन की सिविल आबादी के साथ शिवाजी कॉलोनी, लाल क्वाटर्स, 210 ए और बी 210 सी के साथ सदर बाजार, बोम्बे बाजार शामिल किए जाएं। इसके अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों के भी सुझाव दिए गए। छावनी में कुल भूमि 8,202 एकड़ है। इसमें 7.146 भूमि में सेना की और कृषि भूमि है। बी-1 लैंड में 209 एकड़ में रेलवे, जीपीओ, टेलीफोन एक्सचेंज, बी 2 में 40 एकड़ में पुलिस स्टेशन, प्रदेश सरकार के ऑफिस, बिजली सब स्टेशन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त बीउ, सी, प्राइवेट और नोटिफाइड सिविल क्षेत्र भी शामिल है। विधायक ने छावनी परिषद के प्रस्ताव के अनुसार 436 एकड़ भूमि नगर निगम को दी जाएगी। अग्रवाल ने कहा कि लोग सोच रहे थे कैंट बोर्ड खत्म होने के बाद लैंड यूज परिवर्तित नहीं होगा। ऐसे में जमीन का कोई नक्शा पास नहीं करा पाएगा और न ही निर्माण कर पाएगा। उन्होंने बताया कि नगर निगम में शामिल होने के बाद संपत्ति प्रदेश सरकार की होगी। इस संबंध में प्रदेश सरकार ही जनहित में निर्णय लेगी।