मेरठ 19 दिसंबर (प्र)। अंतरराष्ट्रीय अल्पसंख्यक कल्याण अधिकर दिवस पर आयोजित विचार गोष्ठी में मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के प्रमुख लोगों ने अपनी समस्याएं रखीं तथा उनके समाधान की मांग की। अल्पसंख्यक संस्थानों को मिलने वाले अनुदान को फिर से शुरू कराने तथा प्रत्येक जनपद में अल्पसंख्यक सेवा केंद्र खोलने की मांग की गई।
मनसबिया अरेबिक कालेज रेलवे रोड के परिसर में आयोजित विचार गोष्ठी में सिख समाज से सरदार सरबजीत सिंह कपूर ने कहा कि सिख धर्म के बच्चों की शादियों को उत्तर प्रदेश में भी “आनन्द मैरिज एक्ट” के तहत पंजीकृत कराया जाए। जम्मू कश्मीर, दिल्ली, हिमाचल, राजस्थान प्रदेश में यह एक्ट लागू है। अल्पसंख्यकों को दी जाने वाली सुविधाओं तथा उनके अधिकारों का प्रचार प्रसार धार्मिक स्थलों और स्कूलों में पोस्टर के माध्यम से किया जाए। उत्तर प्रदेश में सिख धर्म, संस्कृति, गौरव व पंजाबी भाषा की रक्षा के लिए सिख बोर्ड का गठन होना चाहिए। कर्मचारी चयन आयोग व लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के दौरान सिख बच्चों को कृपाण और कड़ा साथ में रखने के लिए सरकार एक विशेष आदेश जारी करे। अल्पसंख्यकों के बच्चों की शादी का अनुदान बंद हो गया है, उसे फिर से शुरू किया जाए। पंजाबी युनिवर्सिटी की स्थापना की जाए तथा उत्तर प्रदेश में विश्वविद्यालय में पंजाबी भाषा के विभाग खोले जाएं।
सेंट जोसेफ इंटर कालिज के प्रबंधक फादर जान चिमन ने कहा कि अल्पसंख्यक जाति और धर्मों के लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी है। अल्पसंख्यक संस्थानों को वर्ष 2018 से अनुदान नहीं दिया गया है। दिगम्बर जैन सभा के अध्यक्ष दिनेश चन्द्र जैन ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 30 का पालन कराने के लिए आवाज उठानी होगी। बौद्ध समाज से एसएम ज्योति बनते ने कहा कि अल्पसंख्यकों को अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए अब एकजुट होना होगा ।
शहर काजी प्रो. जैनुस साजिद्दीन ने कहा कि यूएन द्वारा अल्पसंख्यक दिवस का प्रस्ताव पेश किया गया था। जिससे अल्पसंख्यकों को बल मिला। अल्पसंख्यक संस्थानों तथा समाज लोगों को सरकार से मदद नहीं मिल पा रही है। कार्यक्रम अध्यक्ष जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मोहम्मद रूहेल आजम ने अल्पसंख्यकों को केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा दिए गए अधिकार, उनके कल्याण के लिए संचालित की जा रही योजनाओं के बारे में बताया।