Monday, November 24

स्वर्गवासी लेफ्टिनेंट कर्नल को जीवित दिखा ले लिया मुआवजा, चार के खिलाफ मुकदमा दर्ज

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मेरठ 24 नवंबर (प्र)। कनाडा में वर्ष 1983 में स्वर्गवासी हो चुके लेफ्टिनेंट कर्नल को जिंदा दिखाकर सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों ने धोखाधड़ी कर मुआवजा आवेदन दिखाया और रकम भी हड़प ली। इस जमीन का बैनामा 1981 में हो चुका था और तत्कालीन मकान मालिक ने मुआवजे की प्रक्रिया के दौरान आपत्ति पत्र भी दाखिल किया था। बावजूद इसके खेल किया गया। मकान मालिक की ओर से पुलिस-प्रशासनिक अफसरों समेत मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की गई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। कोर्ट के आदेश पर सिविल लाइन थाने में तत्कालीन एडीएम-एलए, डीलिंग बाबू और लेखपाल समेत बाकी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार समेत धोखाधड़ी में मुकदमा दर्ज किया है।

शिकायतकर्ता वादी एडवोकेट राजा सिंह निवासी बदरीशपुरम कंकरखेड़ा ने स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में प्रार्थना पत्र दिया था। इनकी ओर से मेरठ में 1990 के दौरान तैनात रहे तत्कालीन एडीएम-एलए पुष्पपति सक्सेना, डीलिंग बाबू राजेंद्र शर्मा निवासी विकास एनक्लेव मेरठ, रिटायर्ड लेखपाल कृष्णपाल सिंह निवासी यूरोपियन एस्टेट कॉलोनी मेरठ समेत अन्य अज्ञात आरोपी पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का आरोप लगाया। एडवोकेट राजा सिंह ने स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कोर्ट-1 में प्रार्थना पत्र देकर बताया कि खसरा नंबर-195 सरधना रोड कंकरखेड़ा मेरठ के मालिक स्वर्गवासी रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल रोशनलाल शाही साकेत थे। ले. कर्नल ने इस जमीन का बैनामा एडवोकेट राजा सिंह की मां बिमला देवी पत्नी सुमेर सिंह के नाम पर 13 जनवरी 1981 में कराया था। इसके बाद ले. कर्नल परिवार के साथ कनाडा के एडमोंटन-अल्बर्टा चले गए। कनाडा में दो सितंबर 1983 को रोशनलाल शाही का निधन हो गया।

ले.कर्नल रोशनलाल शाही के कनाडा जाने के बाद एडीएम-एलए, लेखपाल और डीलिंग बाबू ने फर्जीवाड़ा किया। ले.कर्नल रोशनलाल की जगह एक अन्य व्यक्ति को खड़ा कर जमीन पर मुआवजा प्राप्त किया। 1990 को मुआवजा प्राप्त करने के लिए ले. कर्नल रोशनलाल के नाम से फर्जी हस्ताक्षर किए। 1996 में मुआवजा प्राप्त भी कर लिया। पीड़ित ने बताया 18 अगस्त 2025 को मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की गई लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। 16 जून को महानिदेशक सतर्कता अधिष्ठान के कार्यालय पर शिकायत की लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

बिमला देवी के पति ने भेजी थी आपत्ति
मुआवजे की प्रक्रिया के दौरान 1990 में नोटिस बिमला देवी पत्नी सुमेर सिंह को प्राप्त हुए थे। सुमेर सिंह की ओर से एडीएम-एलए के कार्यालय पर आपत्ति दर्ज कराई गई थी। बताया था इस खसरा नंबर 195 के संबंध में कोई मुआवजा किसी को न दिया जाए और बताया कि यह संपत्ति बिमला देवी के नाम पर बैनामा हो चुकी है। यह भी बताया था कि इस संपत्ति पर मकान भी बना हुआ है।

कोर्ट के आदेश पर मुकदमा हुआ दर्ज
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कोर्ट-1 के आदेश पर सिविल लाइन थाने में तत्कालीन एडीएम-एलए पुष्पपति सक्सेना, डीलिंग बाबू राजेंद्र शर्मा, रिटायर्ड लेखपाल कृष्णपाल सिंह समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 409, 120-बी, 386, 384 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-1988 की धारा 13-1(सी), 13 और 2(डी) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

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