Friday, November 22

सोशल मीडिया से दूरी बनाना इतना भी अच्छा नहीं

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कोलकाता 23 नवंबर। सोशल मीडिया का हमारे जीवन में क्या भूमिका है क्या आपने कभी ये सोचा है। एक अध्ययन से पता चला है कि सोशल मीडिया से दूरी बनाना इतना अच्छा नहीं होता जितना आप सोचते है। चाहे आप ‘इनफ्लुएंसर’ हों, कभी-कभी कुछ पोस्ट साझा करने वाले हों या फिर किसी चर्चा में हिस्सा न लेकर सिर्फ गतिविधियों पर नजर रखने वाले हों, आप संभवत: सोशल मीडिया पर अपनी इच्छा से अधिक समय बिताते हैं।

दुनियाभर में इंटरनेट तक पहुंच रखने वाले कामकाजी लोग हर दिन इंस्टाग्राम, फेसबुक और ‘एक्स’ पर ढाई घंटे से अधिक समय बिताते हैं। सोशल मीडिया का उपयोग स्कूल या काम में हस्तक्षेप होने पर समस्याग्रस्त हो सकता है, यह आपके रिश्तों में टकराव का कारण बनता सकता है या आपके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि सोशल मीडिया के अत्यधिक इस्तेमाल को औपचारिक रूप से मानसिक स्वास्थ्य विकार नहीं माना जाता, लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह एक ‘लत’ है। जब आप सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल करने लगते हैं तो समझ लीजिए कि आपके इससे दूर जाने का समय आ गया है। इस दौरान आप कुछ दिन के लिए पूरी तरह से सोशल मीडिया से दूरी बना सकते हैं। लेकिन हमारे नए अध्ययन में पता चला है कि इस दृष्टिकोण से सोशल मीडिया के सकारात्मक प्रभाव में भी उतनी ही कमी आ सकती है, जितनी नकारात्मक प्रभावों में।

एक समूह का हिस्सा महसूस करना, स्वीकार किया जाना और प्रशंसा प्राप्त करना सार्वभौमिक आवश्यकताएं हैं। सोशल मीडिया इन जरूरतों को कभी भी और कहीं भी पूरा करने के लिए सुविधाजनक और सुलभ है, और लोगों से जुड़ने का एक अवसर प्रदान करता है। लेकिन ये सराहनाएं जल्दी ही अप्रिय अनुभवों में बदल सकती हैं। अगर किसी को सोशल मीडिया पर काफी लाइक मिलते हैं और फिर मिलने कम हो गए तो लोग परेशान हो जाते हैं और यदि आपकी पोस्ट पर उम्मीदों के मुताबिक प्रतिक्रिया नहीं मिलती तो निराशा की भावना पैदा हो सकती है। दूसरों के जीवन को देखने से फोमो (खो जाने का डर) या ईर्ष्या हो सकती है। इसके अलावा कई बार सोशल मीडिया उपयोगकर्ता अप्रिय या घृणास्पद टिप्पणियों के शिकार हो सकते हैं, जो सबसे खराब स्थिति होती है। अंत में, जब प्रतिभागियों ने सोशल मीडिया का उपयोग कम कर दिया तो हमने नकारात्मक भावनाओं में भी कमी देखी। अध्ययन के दौरान उन्हें थोड़ा कम दुखी और असहज पाया। कुल मिलाकर, सोशल मीडिया से परहेज करने से सकारात्मक और नकारात्मक दोनों भावनाएं दूर हो जाती हैं – कुछ लोगों के लिए, सोशल मीडिया का उनके जीवन पर शून्य प्रभाव पड़ता है।

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