मेरठ 23 अक्टूबर। भाजपा बहकाती और फंसाती है वो हमसे अच्छे काम करके दिखाए सात माह में भी उपलब्धियों की छांप नहीं छोड़ सकी डबल इंजन वाली भाजपा की सरकार। जैसे व्यंगबांड़ यूपी सरकार पर छोडते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने लगभग चार घंटे के मेरठ प्रवास में कार्यकर्ताओं में यह कहकर की जोश निकाय चुनाव में दिखाना उन्हे उत्साहित करने के अतिरिक्त प्रदेश सरकार में दमदार कैबिनेट मंत्री के रूप में अपनी छांप छोड़ने वाले किठौर के पूर्व विधायक शाहिद मंजूर के दिल्ली रोड स्थित आवास पर पहुंच उनके चचेरे भाई तथा किठौर के नगर पालिका पूर्व चेयरमैन समस्श प्रवेज की बैठी की शादी की मुबारिक बाद दी। और नवाजिश मंजूर, आरिफ, जाहिद, शोहित आदि द्वारा किये गए स्वागत के साथ ही यहां पार्टी के नेता व कार्यकर्ताओं के साथ भी लगभग आधा घंटे की बात चीत और निकाय चुनाव से संबंध मंथन अखिलेश यादव द्वारा किया गया। इसी प्रकार फैजाम स्कूल में पूर्व विधायक हाजी गुलाम मौहम्मद की पुत्री और दामाद को मुबारकबाद देते हए सपा मुखिया ने हर मुददे को माध्यम बनाकर यूपी सरकार पर निशाना सादा।
बधाई के बीच ही अखिलेश यादव ने कार्यकताओं से स्पष्ट कहा कि उनके पिता नेता जी ही पार्टी के मुखिया है। लेकिन वो शिवपाल यादव का चर्चा करने से बचते रहे। केंद्र सरकार के एक मंत्री द्वारा टीपू सुल्तान को लेकर कर्नाटक में आयोजित एक कार्यक्रम के संदर्भ में कहे शब्दों पर अखिलेश यादव ने मीडिया से कहा कि उनका भी घर का नाम टीपू है। भाजपा जनता को मुददो से भटकाने के लिये प्रयास कर रही है। हम उस तस्वीर का इंतजार कर रहे हैं जिसमे सीएम योगी आगे और ताजमहल पीछे होगा। इस दौरान सपा में शामिल होने के लिये उतावलें रालौद नेता ताराचंद शास्त्री को को उन्होंने 26 अक्टूबर को पार्टी में शामिल कराने के लिये लखनउ में बुलाया है। तो इस क्रम में यह तय समझा जा रहा है कि इसी दिन बसपा के पूर्व जिला अध्यक्ष प्रशांत गौतम को भी सपा में शामिल कराया जाएगा। लेकिन इसके साथ ही वहां मौजूद कार्यकर्ताओं के संबंध अखिलेश यादव ने यह भी कह दिया कि अब दलों में आना जाना खत्म कर मजबूती से साइकिल की सवारी करें। अपने दौर में अखिलेश यादव कुछ से मिले तो कुछ नाराज हुए। लेकिन आपसी गुटबाजी के बाद भी अखिलेश यादव के सामने सपा कार्यकर्ता एक दूसरे का विरोध किसी भी रूप में नहीं कर पाए। हां यह इशारा जरूर दे गए कि निकाय चुनाव पर गहन मंथन करें। और जिताओ उम्मीदवारों को मैदान में उतारा जाए। उन्होंने कहा कि अगर हम मेयर का चुनाव जीत गए तो साइकिल दौड़ पड़ेगी। जनपद में कह कोई कुछ भी लें। अपनी पकड़ मजबूत रखने वाले वर्तमान में विवादित चल रहे मौहम्मद अब्बास की मुलाकात पार्टी मुखिया से नहीं हो पाई तो जगह जगह मार्ग में खड़े सपा कार्यकर्ताओं को भी अखिलेश यादव से सीधे मुलाकात न हो पाने का अफसोस दिखायी दिया। 25 स्थानों पर सपा नेता का स्वागत हुआ।
12 बजे परतापुर हवाई पटटी पर उतरे और 3ः30 बजे यहां से रवाना हो गए। चलते चलते सपा मुखिया अन्य बातों और इशारों के साथ ही पार्टी संगठन में बदलाव का भी स्पष्ट रूप से कुछ न कहकर भी इशारा कर गए। बताया जाता है कि सपा के वर्तमान में सबसे बडे नेता व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मेरठ भ्रमण के दौरान जनपद और महानगर की सपा इकाइ उनके कद के हिसाब से न तो मीडिया से मिलने और न हीं कार्यकर्ताओं से संवाद की व्यवस्था कर पाई जिसकी सूचना पूर्व मुख्यमंत्री के कानों तक भी पहुंची और जैसा की चर्चा है उनके द्वारा स्थानीय निकायों के चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस बात को गंभीरता से लिया गया। नेता को जितनी भीड़ दिखाई दे ओर मीडिया जितना सवाल पूछे उतनी ही ख्याति उसे मिलती है और उससे ही पार्टी और नेता की
लोकप्रयिता तथा उनकी क्या स्थिति रहेगी यह तय होता है।
खैर जो भी हो ताराचंद शास़्त्री के जाने से लोकदल को भले ही वर्तमान में कुछ झटका लगे मगर कार्यकर्ताओं व नेताओं के महासमंदर रूपी सपा में उनकी बडी पहचान बन पाएगी ऐसा लगता नहीं है। क्योंकि सब जानते हैं कि भाजपा को छोडकर कांगे्रस, बसपा और फिर रालोद की राजनीति कर चुके ताराचंद शास्त्री के लिये अभी सपा में शामिल होने के बाद एक दल भाजपा और बचा है। हो सकता है कभी मन में विचार आए और सपा में कोई बड़ा औहदा न मिल पाए तो यहां से भी कब वो पलायन कर जाए ऐसी चर्चा सपाईयों में जोरशोर से मौखिक रूप से व्याप्त है।
लेकिन स्थानीय स्तर पर एक बडे राजनीतिक परिवार से संबंध बसपा के पूर्व जिला अध्यक्ष और उसमे कई पदों पर रह चूके प्रशांत गौतम के सपा में शामिल होने से कुछ फायदा स्थानीय निकाय और 2019 के लेाकसभा चुनाव में सपा को होना चाहिये ऐसा अखिलेश यादव के कार्यक्रम के दौरान मौजूद पार्टी के कार्यकर्ताओं में चर्चा थी।
संवाद सूत्रों व मौखिक चर्चाओं पर आधारित
शास्त्री के जाने से रालोद को भले ही झटका लगे मगर सपा को कोई बड़ा! बधाई के साथ ही कार्यकर्ताओं को निकाय व 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी का संदेश दे गए अखिलेश यादव
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