Saturday, September 7

गुमशुदा बच्चे चार माह में नहीं मिले तो एंटी हृयूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ढूंढेगी

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मेरठ, 20 मई (प्र)। थाना पुलिस लापता बच्चों को यदि 4 माह में नहीं खोज पाई को इनकी खोजबीन की जिम्मेदारी एएचटीयू संभालेगी। इस संबंध में मुख्यालय की ओर से भी स्पष्ट आदेश दिए गए हैं। मुकदमा या छानबीन पूरे दस्तावेज के साथ एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के हवाले किए जाएंगे। इसके बाद बच्चे को बरामद करने की जिम्मेदारी इसी टीम की रहेगी। वहीं, मॉनिटरिंग के लिए सीओ और एसपी क्राइम को निर्देश दिए गए हैं।

गुमशुदा बच्चों को बरामद करने और उन्हें परिवार से मिलाने के लिए यूपी पुलिस ने ऑपरेशन मुस्कान शुरू किया था। इस ऑपरेशन के तहत थाना पुलिस और बाकी टीम काम करती है। वहीं, दूसरी ओर इस तरह के गुमशुदगी के मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए व्यवस्था बनाई गई है। तीन वर्ष से लेकर 8 वर्ष तक के बच्चों को यदि पुलिस गुमशुदगी दर्ज होने के चार माह के अंदर नहीं खोज पाती है तो इस तरह के मुकदमों की विवेचना क्राइम ब्रांच के अंतर्गत बनाई गई एएचटीयू यानी एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को देने को ट्रांसफर करने का निर्देश दिया गया है। जांच ट्रांसफर होने के बाद एएचटीयू बच्चों की बरामदगी के लिए प्रयास शुरू करेगी। आशंका जताई कि इस तरह के बच्चों को अगवा करने के पीछे मानव तस्करी से संबंधित गिरोह हो सकते हैं। ऐसे में इन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई एक एक्सपर्ट टीम ही कर सकती है। ऐसे में बच्चों की बरामदगी और मुकदमों का निस्तारण पूरी तरह से एएचटीयू देखेगी। वहीं, इन मामलों में निगरानी के लिए संबंधित एसपी क्राइम और प्रभारी सीओ एएचटीयू को निर्देश दिए गए हैं।

मेरठ में तीन मुकदमे हुए ट्रांसफर
मेरठ में पिछले कुछ माह में ऐसे तीन मुकदमों को चिन्हित किया गया, जिन बच्चों को बरामद नहीं किया जा सका। इस मुकदमों को बाद में एएचटीयू को दिया गया। इन केस में अब सीओ एएचटीयू ही कार्रवाई करा रहे हैं। दूसरी ओर इन मामलों से जुड़ी प्रगति रिपोर्ट जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को हर तीन माह में भेजने का भी निर्देश दिया गया है। ऐसे में बच्चों की बरामदगी के लिए पुलिस टीम काम करेगी।
अनित कुमार, एसपी क्राइम मेरठ का कहना है कि लापता बच्चों को चार माह में बरामद नहीं किया जा सका तो ऐसे मामलों को एएचटीयू संभालेगी। इसके लिए प्रदेश समेत आसपास के राज्यों की पुलिस से संपर्क किया जाता है और बच्चों के फोटो समेत बाकी जानकारी साझा की जाती है। प्रयास किया जाता है कि बच्चों को बरामद किया जाए।

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