मेरठ 29 जून (प्र)। मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी विभाग में बोटॉक्सी थेरेपी शुरू हो गई है। यह थेरैपी लकवा, माइग्रेन, हाथ और पैरों में कंपन, गर्दन में अकड़न आदि के इलाज में बेहद कारगर है। अभी तक ये थेरेपी निजी क्षेत्र के बड़े अस्पतालों में ही उपलब्ध है, जहां इसके इलाज का खर्च लाखों रुपये आता है। मेडिकल कॉलेज में ये बेहद कम कीमत में उपलब्ध है।
न्यूरोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. दीपिका सागर ने बताया कि मेरठ निवासी भावना को दिमाग की टीबी थी, इस कारण उनके बाएं हाथ में अकड़न होती थी। इससे वह हाथ खोल नहीं पाती थी। कई डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी आराम नहीं मिला। इसी तरह बुलन्दशहर निवासी सरोज के दाहिनी आंख में अकड़न और फड़कने की बीमारी थी। इस कारण उनको आंख खोलने में काफी परेशानी होती थी और आंख अपने आप बंद हो जाती थी। दोनों को ये थेरेपी दी गई और उनको इससे काफी आराम मिला है।
डॉ. दीपिका ने बताया कि दिमाग की कई बीमारियों जैसे लकवे के बाद हाथ पैर की अकड़न, गर्दन की अकड़न, चेहरे की मांसपेशियों का फड़कना, हाथों-पैरो के कंपन, माइग्रेन, हाथ में ज़्यादा पसीना आना जैसी परेशानियां जो दवा से ठीक नहीं हो पातीं, उनके इलाज में ये बहुत उपयोगी है। सेरेब्रल पैलसी की मरीज जो चलने फिरने में असमर्थ हैं, उनके लिए भी यह थेरेपी कारगर है। इस थेरेपी का प्राइवेट अस्पतालों में खर्च लाखों में होता है जबकि मेडिकल कॉलेज में यह काफी कम खर्चे में हो जाता है।