मेरठ : मायावती अपने भाषणों में जाटों का जिक्र बमुश्किल ही करती हैं, पुलिस भर्ती में जाटों को नौकरी देने का जिक्र करके कूटनीतिक चाल चल दी है। स्वयं को दलितों, पिछड़ों की सच्ची हितैषी साबित करने की कोशिश करने व मुख्यमंत्री रहने के दौरान अपने कामकाज को गिनाने के बीच ही वह यह जिक्र करना नहीं भूलीं कि उनके कार्यकाल की पुलिस भर्ती में सबसे अधिक फायदा पश्चिमी उप्र में जाटों को मिला। पुलिस में नौकरी मिली वह भी बिना एक पैसे खर्च किए।
उन्हें यह पता है कि रालोद के पाले में चले जाने वाले जाट 2014 में भाजपा की ओर भी गए। पिछड़ों का जिक्र होता है तो जाट भी पिछड़े वर्ग में ही आते हैं। दलित व पिछड़ों को जगाने का आह्वान करने के बीच उन्होंनें जाट जाति का जिक्र किया। यह नाम इत्तिफाक से नहीं आया, बल्कि राजनैतिक दांव माना जा रहा है। इससे उन्होंने जाटों को पुलिस भर्ती में तवज्जो देकर अपना रुख स्पष्ट किया।
2018 में मायावती बनेंगी प्रधानमंत्री
बसपा के तीन मंडलों के कार्यकर्ता सम्मेलन में मजबूत नेता दिखाई देने के लिए पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी ने न सिर्फ रास्तों पर पार्टी सुप्रीमो के साथ अपनी फोटो वाले होर्डिग पाट दिए बल्कि बसपा सुप्रीमो की शान और राजनीतिक भविष्य के बारे में खूब कसीदे भी पढ़े।
बीच-बीच में तथ्यों को भूल जाने वाले याकूब कुरैशी ने भविष्यवाणी भी कर दी कि 2018 में केंद्र की मोदी सरकार गिरने वाली है और इसके बाद चुनाव होगा। इसमें जीत दर्ज कर बहन मायावती प्रधानमंत्री बनेंगी। दलितों, पिछड़ों, गरीबों की एकमात्र हितैषी मायावती को बताया। पार्टी कार्यकर्ताओं को कहा कि ये कार्यकर्ता नहीं बल्कि बसपा के सिपाही हैं।
बीएसपी चीफ मायावती ने कहा कि चुनावों के वक्त हुई ईवीएम की गड़बड़ी से बीएसपी का काफी नुकसान हुआ है। ईवीएम में गड़बड़ी के मुद्दे को पार्टी सुप्रीम कोर्ट तक ले गई। सरकार पर एक और आरोप लगाते हुए मायावती ने कहा, प्रमोशन में आरक्षण का मामला अब तक लटका है। प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण अब भी रुका हुआ है। बीजेपी की शुरु से ही आरक्षण विरोधी मानसिकता है।