Sunday, December 22

धार्मिक छुट्टियों को लेकर बाल संरक्षण आयोग! बिहार सरकार शुक्रवार का अवकाश और छुट्टियों में रद्दोबदल का आदेश ले वापस, केन्द्र सरकार करे कार्रवाई

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अपने देश में सबके लिए संविधान एक है शिक्षा की प्रणाली एक समान है फिर भी कुछ अफसर अपनी मनमानी या राजनेताओं की चाटुकारिता के लिए ऐसे विवाद खड़े करते रहते है जिन्हें लेकर समाज में वैमन्स्य की भावना तो पैदा होती ही है प्रदेश में जो दल सत्ताधारी होता है उसके विरूद्ध विपक्षी दलों को राजनीतिक हमले करने का मौका मिल जाता है।
स्कूलों में शुक्रवार का अवकाश क्यों?
फिलहाल इस क्रम में बिहार के अन्दर कुछ सीमावर्ती इलाकों के स्कूलों में रविवार के स्थान पर शुक्रवार की छुट्टी घोषित की गई है अगर जल्दी ही सरकार ने इसमें सुधार नहीं किया तो ये बड़े विवाद का कारण बन सकती है। बताते चले कि बिहार शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों द्वारा हिन्दुओं त्यौहारों की छुट्टियां घटाकर मुस्लिम छुट्टियां बढ़ाई गई है। मैं किसी जातिवादी व्यवस्था और साम्प्रदायिक सोच की प्रवृत्ति का नहीं हूं लेकिन सरकार शासन आदि से जुड़े किसी भी व्यक्ति को कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जो समाज में एक दूसरे के खिलाफ असंतोष पैदा होता हो।
इस संदर्भ में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा सख्त रूख अपनाया गया है। इससे संबंध खबर के अनुसार बिहार के स्कूलों में छुट्टियों में धार्मिक आधार पर भेदभाव के मुद्दे को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गंभीरता से लिया है। बिहार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी करते हुए आयोग ने सभी बच्चों को धार्मिक उत्सव मनाने का समान अवसर उपलब्ध कराने को कहा है और सात दिन के भीतर इसकी क्रियान्वयन रिपोर्ट मांगा है।
बिहार सरकार पर स्कूलों में हिंदू त्यौहारों की छुट्टियां कम करने और उसकी जगह मुस्लिम त्यौहारों की छुट्टियां बढ़ाने का आरोप है और विपक्ष ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना लिया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार संधि का हस्ताक्षरकर्ता है और उसके तहत बच्चों को दिये गए सहभागिता के अधिकार के संरक्षण की जिम्मेदारी है। मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के उचित क्रियान्वयन की निगरानी की जिम्मेदारी भी है।
पूर्व में नोटिस भेजा जा चुका है
बिहार सरकार का छुट्टियों में धार्मिक आधार पर भेदभाव अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार संधि के साथ-साथ आरटीई का भी उल्लंघन है। खबर के अनुसार आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सात दिन के भीतर यदि जवाब नहीं मिलता है तो आयोग उन्हें तलब करने के लिए समन भी भेज सकता है। इसके पहले भी आयोग बिहार के किशनगंज और अन्य सीमावर्ती इलाकों के स्कूलों में रविवार की जगह शुक्रवार की छुट्टी किये जाने पर नोटिस भेज चुका है।
जदयू के मुख्य प्रवक्ता बिहार सरकार के पूर्व मंत्री नीरज कुमार कह रहे है कि इसे धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। अगर छुट्टियों से संबंध आदेशों में कुछ विसंगतियां रही है तो उसे शिक्षा विभाग के स्तर पर दूर कर लिया जाएगा। इस फैसले को धार्मिक चश्में से देखने की जरूरत नहीं इसे शिक्षा के आधार पर देखा जाना चाहिए।
दूसरी तरफ महागठबंधन के कुछ नेताओं ने स्वीकार किया है कि उन्हें शिक्षा विभाग का यह कदम मंजूर नहीं है। वो चाहेगें कि संशोधन किया जाए। तो जदयू के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी ने कहा कि विभाग को परंपराओं को स्वीकार करना चाहिए था। राजद प्रवक्ता शक्ति यादव का कहना है कि हम भाजपा के प्रलाप को बहुत कम महत्व देते है।
दूसरी तरफ भाजपा के नेता राज्यसभा सदस्य पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कहना है कि शिक्षा विभाग का ये आदेश नीतिश सरकार द्वारा हिन्दू भावनाओं पर कुठाराघात है इसे तुरंत वापस लिया जाए वर्ना सड़कों पर उतरेंगे। तो बिहार भाजपा के पूर्व प्रमुख एवं केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने भी नीतिश सरकार पर तृष्टीकरण का आरोप लगता हुए कहा कि बिहार में हिन्दुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करना नीतिश कुमार जी तुरंत बंद करे।
भाजपा नेता बैगूसराय से सांसद केन्द्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ने सोशल मीडिया पर अपना बयान जारी करते हुए कहा कि नीतिश कुमार की सरकार ने तीसरी बार अपना तुंगलकी फरमान जारी किया है। नीतिश सरकार इस्लामिक धर्म के आधार पर काम कर रही है।
भाजपा और जदयू के नेताओं का अपना अपना मत है लेकिन रविवार की जगह शुक्रवार को छुट्टी और कुछ हिन्दू त्यौहारों पर कुछ अवकाश खत्म कर मुस्लिम त्यौहार के बढ़ाने की बात को कोई भी सकुलर और साम्प्रादायिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने वाला व्यक्ति सही नहीं कह सकता इसलिए जदयू का कोई भी नेता इस बात को लेकर यह कहने से बचे कि ये भाजपा का प्रलाप है। क्योंकि यह बहुसंख्यकों की भावनाओं से संबंध मामला है। बिहार सरकार छुट्टियों और कुछ स्कूलों में शुक्रवार को अवकाश का किया गया आदेश वापस ले अगर वो ऐसा नहीं करती है तो हमारा केन्द्रीय गृहमंत्री कानून और शिक्षामंत्री आदि से आग्रह है कि वो संविधान के तहत इस मामले में मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए सम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने वाले इन दोनों बिन्दुओं पर तुरंत निर्णय ले।
मैं न तो किसी जाति और धर्म से प्रभावित हूं और न ही राजनीतिक दल से लेकिन समाज में भाईचारा शांति और सद्भाव बना रहे इसके लिए ये जरूरी है कि इस प्रकार की कुलक्षित भावनाओं को बढ़ावा देने वाले आदेश निरस्त करने के साथ ही शिक्षा विभाग के जो सरकारी और कर्मचारी इस मामले में शामिल है उन्हें तुरंत संस्पेड़ तो किया ही जाना चाहिए और जांच के बाद सोचकर इनकी नौकरी की जाए समाप्त। क्योंकि अभी तो इसी कारण से केन्द्रीय मंत्री गिरीराज सिंह जी के कथन को ध्यान में रखकर सोचे तो ये बात सही है कि सीमांचल के कुछ क्षेत्रों में जो ये छुट्टियांे का नया प्रपंच दोबारा से शुरू किया गया है ये किसी बड़े विवाद का कारण बनने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई पूर्व सदस्य मजीठिया बोर्ड यूपी सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री संपादक पत्रकार

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