जब किसी नागरिक या अधिकारी को प्रदेश स्तर पर कोई सम्मान मिलता है तो उस नगर व जनपद के लोग खुशिया मनाते है लेकिन आज जब नागरिकों ने सुबह समाचार पत्र पढ़े तो कई जागरूक पाठक एक दूसरे से यह पूछते नजर आये की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. राजकुमार को यूपी के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किस उपलब्धि के लिए सम्मानित किया गया। एक का कहना था की पूर्व में किसी जिले में किये गये कार्यो के लिए मिला होगा सम्मान तो दूसरे का कहना था की अगर ऐसा है तो सही है क्योकि मेरठ में तैनाती से अब तक तो कोई ऐसा कार्य दिखायी नही दिया जिसके लिए सम्मान तो क्या उनकी प्रसंशा भी हो सकें। तभी तीसरे का कहना था की हो सकता है कि काम का प्रचार ना किया हो सिर्फ कागजों मे ही जनहित के काम होकर बंद हो गये हो।
पाठकों की सोच जागरूक है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. राजकुमार, हंसमुख और मिलनसार अफसर है इसमें कोई दोराय नही है लेकिन जबसे उनकी यहां तैनाती हुई है तब से उन्होने संक्रमण बीमारियों की रोकथाम हेतु मलीन बस्तियों में जाकर कोई अभियान चलाया हो या कही स्कुलों में पहुंचकर बच्चांे को जागरूक करने का प्रयास किया हो ऐसा सुनने को नही मिला स्वच्छता में तो कोई कार्य उनका होने का मतलब ही नजर नही आ रहा है स्वास्थ्य विभाग की निगाह में उन्होने क्या उत्कृष्ट कार्य किया यह समझ से बाहर है क्योकि जहां तक उनके बयान पढ़ने को मिले उनसे तो ज्यादातर नागरिकों में डर की भावना ही पनपी। एक दूसरे से हाथ ना मिलाने, गले ना मिलने की बात कहना बीमारियां रोकने में सक्षम नही होता और जनता के बीच पहुंचकर लगता है उन्होने कही जागरूकता बीमारियों के प्रति सड़क पर आकर किया लगता नही। तो फिर पुरूस्कार सम्मान मिलना चर्चा का विषय तो बनेगा ही। कुछ लोगो का इस संदर्भ में यह कहना भी ठीक लगता है की इस प्रकार से बिना कोई उल्लेखनीय कार्य किये अगर पेशबंदी के आधार पर कागजी खानापूर्ति कर पुरस्कार मिलते रहे तो पात्र व्यक्तियों में काम करने का जोश भी कम हो सकता है। हां, अगर उन्होने कोई उल्लेखनीय कार्य किया और वो पूरे मीडिया को पता ना चल पाया हो या उन्होने बताने की कोशिश ना की हो उसके लिए सम्मान मिला हो तो डाॅ. राजकुमार जी को हमारी भी बधाई लेकिन आम आदमी को यह जरूर पता चलना चाहिए की चिकित्सा के क्षेत्र में उन्होने कब और कहां वो कौन सा सराहनीय कार्य किया जिसके लिए उन्हे यह सम्मान मिला हो। –
मौखिक चर्चा अनुसार