आज का दिन हम भारतवासियों के लिए अगर ध्यान से सोचें तो हर मामले में महत्वपूर्ण है। क्योंकि हमारे महापुरूषों और नाम अनाम शहीदों की कुर्बानियों के बाद हमें स्वतंत्रता से जीवन का अधिकार संविधान लागू हो जाने से मिला। तो इसी दिन जनता की सरकार जनता ही अधिकार की भावना मजबूत हुई।
प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस को हम देश के गांव गली मोहल्लों तक के साथ ही विदेशों में रहने वाले भारतवंशियों द्वारा अपने घरों पर तिरंगे झंडे लगाने के साथ ही देशभक्ति से परिपूर्ण गीत बजाए जाते हैं तथा सम्मेलन और विचार गोष्ठिया आयोजित होती हैं व मिठाईयां बांटी जाती है। जहां तक नजर आता है। हर वर्ष समय कैसा भी हो यह भावना हमारे अंदर निरंतर मजबूत और विकसित होती जा रही है। बड़े बूढ़े महिला पुरूष ही नहीं छोटे बच्चे भी आज के आयोजनों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
मेरा मानना है कि राष्ट्र से बड़ा और देशभक्ति से परिपूर्ण व लोकतंत्र में जीने के अधिकार से जीने से बड़ी कोई उपलब्धि नहीं हो सकती लेकिन क्या हम संविधान में मिले अधिकारों और गणतंत्र में दिखाए सपनों के अनुसार काम कर रहे हैं या हर नागरिक को उसके अधिकार मिल रहे हैं। इस बारे में हमें सोचने का समय भी अब आ गया है। क्योंकि अपने वाहनों पर झंडे लगाकर घूमने जोरशोर से नारे लगाने से इस पर्व का जो मकसद है मुझे लगता है शायद पूरा नहीं हो पा रहा है और इसके लिए कोई और नहीं शायद हम ही खुद जिम्मेदार हैं। दोस्तों हम हमेशा सरकार के साथ ही अपनी किस्मत को कोसते हैं लेकिन यह भूल जाते हैं कि बिना रोए बच्चे को मां भी दूध नहीं पिला पाती है औ बिना खाए पेट नहीं भरता है। मेरा मानना है कि सरकारें किसी की भी हो कम या ज्यादा अपनी सरकार को सही चलाने और लोकप्रिय बनाने के दृष्टिकोण से उनके द्वारा घोषित वादों और नीतियों को लागू करने का हर संभव प्रयास ज्यादातर द्वारा किया जाता है। इसके लिए बड़े बजट भी दिए जाते हैं। और नियम भी बनाए जाते हैं लेकिन पात्र और आम आदमी को उसका लाभ कितना मिल रहा है कितना नहीं सरकार को यह साफ पता नहीं चल पाता और हम सिर्फ जबान चलाने के अतिरिक्त कुछ करना नहीं चाहते क्योंकि हम अपनी बात जिम्मेदारों तक पहुंचाने के लिए दो शब्द लिखकर मेल वॉटसऐप टिवटर पर भेजने को तैयार नहीं है। ऐसे में भला सबकुछ होने के बाद भी गणतंत्र और संविधान में मिले अधिकारों का अहसास हमें कैसे हो।
एक बात जरूर कहना चाहता हूं कि हमारी सरकार और शासन को भी अब समय आ गया है कि यह देखा जाए कि जो जो योजनाएं हमनें बनाई वो लागू हो रही है या नहीं। पात्र व्यक्ति उससे लाभान्वित है या नहीं। ऐसा हम कर नहीं रहे परिणामस्वरूप हम अपराध भ्रष्टाचार रिश्वतखोरी काम में लापरवाही समाज में स्वच्छता और सबको सरल और सुलभ न्याय मिले चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने में नागरिकों को परेशानी ना हो और हर व्यक्ति दो समय की रोटी आसानी से प्राप्त कर सुख शांति से खा सके इसके लिए जरूरी है कि सरकार यह देखे कि इन बिंदुओं पर जो काम होना चाहिए वो उनके हुक्मरान कर रहे हैं या नहीं। मुझे लगता है कि ऐसा हो नहीं रहा। सब तरफ महंगाई कम होने अपराध घटने भ्रष्टाचार समाप्ति और स्वच्छता के दावे तो हो रहे हैं लेकिन कोई यह नहीं देख रहा कि किस प्रकार से विकास कार्यों में भ्रष्टाचार और घोटाले खुलकर आ रहे हैं। महिलाओं के यौन उत्पीड़न की घटनाएं रोज सुनाई दे रहे हैं। अवैध निर्माण और सरकारी भूमि घेरकर बेची जा रही है। आम आदमी के अनुसार भ्रष्टाचार चरम पर है और नागरिक डरा हुआ है क्योंकि जो आवाज उठाएगा वो जेल जाएगा या उलटे सीधे मुकदमे में फंसा दिया जाएगा। ऐसी भावना अब सीधे सच्चे नागरिकों के मन में पनपने लगी हैं।
मगर भाईयों चाहे सरकार कुछ भी कर ले और हम कितना ही प्रयास क्यों ना कर ले जब तक आप गांधीवादी तरीके से अपनी परेशानियां सही माध्यम से सरकार के समक्ष नहीं रखेंगे तब तक संविधान में हमें जो अधिकार दिया गया है उसका सुख हर व्यक्ति शायद नहीं भोग पाएगा। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जी सहित आप जहां भी रहते हैं वहां के मुख्यमंत्री और अन्य जनप्रतिनिधियों को अपनी परेशानी उनके वॉटसएप मेल टिवटर पर भेजें और इनके द्वारा संचालित जनशिकायत पोर्टल पर जब तक आपकी समस्या का समाधान ना हो लिख लिख कर शिकायत भेजते रहिए। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि हर क्षेत्र में सरकार की भावना के तहत सुधार भी होगा और आपका अपना अधिकार भी मिलेगा और चारों तरफ रामराज्य की परिकल्पना जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने की थी वो साकार होगी और हम खुश होंगे।
पिछले कुछ वर्षों से कमी कहीं भी हो लेकिन 26 जनवरी, 15 अगस्त और 2 अक्टूबर जैसी राष्ट्रीय पर्वों पर भी देशभर से निकलने वाले लधु और भाषाई समाचार पत्रों को मिलने वाले विज्ञापन लगभग बंद हो गए हैं और विभिन्न तरीकों से कहे अनकहे इनके उत्पीड़न का मौका कोई नहीं चूक रहा है उसके बाद मुझे जैसे अनपढ़ और निरक्षर व्यक्ति जिन्होंने समाज से बहुत कुछ सीख है वो जनहित में वो सबकुछ कर रहे हैं जो करना चाहिए मगर ग्रामीण कहावत जिसके पैर ना बड़ी बिवाई वो क्या जाने पीर पराई के समान जब तक हम खुद प्रयास नहीं करेंगे हमारी परेशानियों का हल होने वाला नहीं है। गणतंत्र दिवस 26 जनवरी बसंत और संविधान लागू होने के इस खास दिन सबको बधाई इन भावनाओं के साथ कि उनका जीवन खुशहाल रहे।
– रवि कुमार बिश्नोई
संस्थापक – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन आईना
राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय समाज सेवी संगठन आरकेबी फांउडेशन के संस्थापक
सम्पादक दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
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