उप जिलाधिकारी मेरठ, श्री ओजस्वी राज द्वारा अपने सम्बोधन में अवगत कराया गया कि ग्लूटोन फ्री उत्पादो का सबसे सुलभ साधन मिलेटस हैं, युवा पीढियों को कृषि एवं मिलेटस की बुवाई करने हेतु आकृर्षित करना है, गिरते भूजल स्तर के नियंत्रण हेतु धान के स्थान पर कम पानी चाहने वाली फसलों की बुवाई करने का सुझाव भी कृषको दिया गया।
श्री चमन सिंह उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी मेरठ द्वारा प्राकृतिक खेती के लाभ, बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत, ब्रहमास्त्र आदि तैयार करने की विधि के बारे में जानकारी दी गयी। गन्ना समिति महीउददीनपुर के सचिव डा0 प्रदीप कुमार वर्मा द्वारा गौ आधारित प्राकृतिक खेती का महत्व एवं कन्सैप्ट के विषय में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई गयी। रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशियों के असन्तुलित प्रयोग से होने वाली हानियों के बारे में भी जानकारी दी गयी।
कृषि विज्ञान केन्द्र हस्तिनापुर के प्रभारी डा0 ओमवीर सिंह द्वारा देश की वर्तमान परिस्थिति एवं मांग के अनुरूप सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढावा दिये जाने विषय में अवगत कराया गया। गेहॅू में खरपतावारों के नियंत्रण के विषय में भी जानकारी दी गयी।
डा0 रितेश शर्मा प्रधान वैज्ञानिक एपिडा द्वारा अवगत कराया गया कि वर्ष 2023 को अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाया जाना है। मनुष्य के उत्तम स्वास्थ्य के लिये मिलेटस का सेवन किया जाना लाभकारी है। उनके द्वारा ज्वार, बाजरा, मण्डुवा, रागी, कंगनी, संवा, कोंदो आदि मिलेटस की बुवाई करने का सुझाव कृषको को दिया गया। एपिडा के हेल्प लाइन न0 8630641798 पर अपनी समस्याओं के समाधान किये जाने की जानकारी दी गयी।
श्री ब्रजेश चन्द्रा, उप कृषि निदेशक मेरठ द्वारा मिलेटस एवं तिलहन की फसलों का आच्छादन बढाने का अनुरोध कृषकों से किया गया। रबी में तिलहन की मुख्य फसल सरसों के उत्पादकता में वृद्धि हेतु समय से बुवाई, बिरलीकरण एवं सल्फर का प्रयोग करने का आवाहन किया गया। कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं एवं उनमें देय अनुदान के विषय में जानकारी भी दी गयी।
इस अवसर पर उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी चमन सिंह, उप कृषि निदेशक ब्रजेश चन्द्र सहित अन्य संबंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे।