मेरठ: स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की फाइलें एक बार फिर खुल गई हैं। 2013-14 से 2015-16 के बीच करोड़ों रुपए की अनियमितता की जांच करते आए निदेशक परिवार कल्याण डा. उमाकांत ने सीएमओ कार्यालय में फाइलों को खंगाला।
पूर्व सीएमओ डा. अमीर सिंह और एनएचएम के तत्कालीन प्रभारी डा. संजय जोधा से लंबी पूछताछ की गई। स्वास्थ्य विभाग में तमाम अधिकारियों ने मिलीभगत कर नियम विरुद्ध दवाओं एवं उपकरणों की खरीद की थी। आरोप है कि डा. अमीर सिंह के सीएमओ रहते छह-छह माह बजाय सालभर के लिए दवाएं खरीद ली गईं।
बिना किसी कमेटी की अनुमति करीब बीस लाख की खरीद कर ली गई। नियमों के मुताबिक 20-20 हजार की खरीद और विशेष परिस्थितियों में एक लाख तक की खरीद सीधे की जा सकती है।डा. संजय जोधा पर अनियमितता के गंभीर आरोप लगे। तत्कालीन डीएम पंकज यादव ने तीन वित्त लेखाधिकारियों की टीम बनाकर जांच कराने को कहा, किंतु सीएमओ कार्यालय स्टाफ ने दस्तावेज ही नहीं दिए।
कमरा नंबर 202 और 204 में फाइलें जमा कर इसमें ताला जड़ दिया गया, जिसे खोलने की हिम्मत प्रशासन की टीम भी नहीं जुटा पाई थी। संबंधित क्लर्क का विवादों के बीच झांसी ट्रांसफर भी हो गया। पूर्व सीएमओ आर चंद्रा भी रडार पर सीएमओ डा. एससी जौहरी ने तत्कालीन मिशन निदेशक अमित घोष से सीएमओ डा. चंद्रा के खिलाफ शिकायत की थी। चंद्रा पर एक फर्म को लाभ देने के लिए 70 लाख रुपए की बैंडेज खरीदने का आरोप लगा।
हापुड़ एवं दो अन्य पड़ोसी फर्मो ने भी इसमें जमकर कमाई की। उन्होंने सीएमओ रहते थायरायड एवं शुगर की दवाओं को दो साल के लिए खरीद लिया, जिसकी स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच तक नहीं होती है। डा. चंद्रा, डा. संजय जोधा, डा. एससी जौहरी एवं डा. अमीर सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। तत्कालीन निदेशक परिवार कल्याण ने जांच कर रिपोर्ट लगा दी, किंतु शासन इससे संतुष्ट नहीं हुआ।
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