Wednesday, February 12

जीवन की पहली कमाई दस हजार रूपये से आगे बढ़े दुनिया के 19वें अमीर गौतम अदाणी, एक लाख श्रद्धालुओं को महाकुंभ में वितरित कर रहे हैं प्रसाद

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देश दुनिया के औद्योगिक और व्यापार के क्षेत्र में धीरूभाई अंबानी और अब गौतम अदाणी का नाम सिक्का बंद है। किसी को भी उनके बारे में बताने की आवश्यकता नहीं है। रिलायंस गु्रप के मुकेश और अनिल अंबानी के पिता धीरूभाई अंबानी के जीवन की शुरूआत जिस प्रकार से हुई और वो अपनी मेहनत के दम पर उन्नति करते रहे वो ही कार्य अब दुनिया के 19वें अमीर व्यक्ति गौतम अदाणी कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में विवादों में घिरे रहे गौतम अदाणी सारे आरोप प्रत्यारोप झेलने के बाद भी आगे बढ़ते रहे हैं। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता और मीडिया के सुर्खियों में जो उनकी स्थिति है उससे भी यह स्पष्ट होता है। देश के इस उद्योगपति और भारत का नाम दुनिया के क्षेत्रों में अपनी पहचान कायम कराने वाले गौतम अदाणी द्वारा आज महाकुंभ मेले में साढे दस से साढ़े 11 बजे तक इस्कॉन पंडल, 12 बजे तक वीआईपी पंडाल, 12ः25 पर बड़े हनुमान के दर्शन करने के साथ ही भंडारे का आयोजन किया गया। इस्कॉन से मिलकर अदाणी समूह प्रतिदिन एक लाख श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण और गीता प्रेस के साथ मिलकर एक करोड़ आरती संग्रह का वितरण कर रहा है। जो इस बात का प्रतीक है कि गौतम अदाणी और उनका ग्रुप सेवा कार्यों में अपनी कमाई का कुछ हिस्सा खर्च करने में पीछे नहीं है। मैं उन तक नहीं पहुंच सकता और ना मेरा उनसे कोई सरोकार है। लेकिन सोशल मीडिया ने दुनिया की जानकारी एक मोबाइल फोन में समाहित कर दी है। अगर कोई अच्छा काम करता है तो वो भी वह आदमी को जमीन से शीर्ष तक पहुंचा हो उसकी उपलब्ध्यिों को नकारा नहीं जा सकता।
एक खबर के अनुसार गौतम अदाणी आज भले ही दुनिया के 19वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं, लेकिन एक समय वह पाई-पाई को मोहताज थे। आजीविका की तलाश में वह महज 16 साल की उम्र में खाली हाथ मुंबई चले गए थे, जहां हीरा कंपनी में काम किया।
उद्योगपति गौतम अदाणी ने गत दिनों अदाणी इंटरनेशनल स्कूल में अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताया, 19 साल की आयु में उन्होंने पहले व्यापारिक लेनदेन से 10,000 रुपये का कमीशन कमाया और यहीं से उनके कारोबारी जीवन की शुरुआत हुई। सफल कारोबारी साम्राज्य खड़ा करने की कहानी सुनाने के साथ अदाणी ने यह भी कहा कि उन्हें कॉलेज की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाने का कई बार अफसोस होता है।
अदाणी बताते हैं, हीरा कंपनी में नौकरी के दौरान जल्द अपना कारोबार शुरू करने का मन बनाया और तीन वर्ष में मुंबई के झावेरी बाजार में खुद का डायमंड ट्रेडिंग ब्रोकरेज शुरू कर दिया। 1981 में गुजरात लौट आए और बड़े भाई महासुखभाई की मदद करने लगे, जिन्होंने अहमदाबाद में एक छोटी पीवीसी फिल्म फैक्टरी खरीदी थी। 1988 में अदाणी एक्सपोर्ट्स नाम से कमोडिटी ट्रेडिंग वेंचर की स्थापना की और 1994 में इसे सूचीबद्ध कराया।अब इस कंपनी का नाम अदाणी एंटरप्राइजेज है।
कॉलेज जाता तो और बढ़ जातीं क्षमताएं
अदाणी ने कहा, बुद्धिमता के लिए अनुभव हासिल करना चाहिए लेकिन ज्ञान पाने के लिए अध्ययन भी जरूरी है। ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। असफलताएं व बाधाएं परीक्षा लेंगी। साधारण और असाधारण सफलता के बीच एकमात्र अंतर जुझारूपन है, जो हर बार गिरकर खड़े होने का साहस देता है। और यही सफलता का मूलमंत्र कह सकते हैं जो इसमें तपकर निखर गया वो आगे बढ़ गया। जो पीछे हटा वो गुम हो गया।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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