मेरठ 17 मई (प्र)। खरखौदा क्षेत्र के ग्राम पिपली खेड़ा में संचालित हसन मलिक रिसाइकिलिंग प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री में जीएसटी विभाग की टीम ने बृहस्पतिवार को अचानक छापा मारा है। छापे से फैक्ट्री के कर्मचारी के होश फाख्ता हो गए और हड़कंप मच गया। जीएसटी विभाग की टीम ने जीएसटी से संबंधित कई कागजातों को अपने कब्जे में लेते हुए फैक्ट्री स्वामी और मैनेजरों से तकरीबन तीन घंटे पूछताछ की है। करीब तीन घंटे चली छापेमारी और पूछताछ की कार्रवाई में जीएसटी विभाग की टीम को कई साक्ष्य हाथ लगे हैं।
ज्वाइंट कमिश्नर आरके त्रिपाठी ने बताया कि डाटा विश्लेषण के दौरान पता चला कि हसन मलिक रिसाइकिलिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बोगस फर्मों के जरिए कारोबार कर रही है, जिससे बड़ी जीएसटी चोरी की जा रही है। इसी शक के आधार पर एडीशनल कमिश्नर ग्रेड 2 आरपी मल्ल के निर्देश पर एसआईबी के ज्वाइंट कमिश्नर आरके त्रिपाठी, ज्वाइंट कमिश्नर मनीषा शुक्ला, डिप्टी कमिश्नर जितेंद्र आर्या, असिस्टेंट कमिश्नर विनय दुबे और अखिलेश मिश्रा के नेतृत्व में अन्य अधिकारियों के साथ ही टीम बनाकर संबंधित कंपनी के पीपलीखेड़ा स्थित फैक्टरी पर छापा मारकर अहम दस्तावेजों की जांच की मौके पर मौजूद सामान की सूची बनाई गई व उनसे संबंधित खरीदफरोख्त के दस्तावेज तलब किए।
बोगस फर्मों से खरीद, ई वे बिल में मिला अंतर
जांच से पहले जीएसटी के अधिकारियों ने इस फर्म का विश्लेषण किया तो पाया कि कंपनी द्वारा बोगस फर्मों सामान की खरीद की जा रही है। साथ है, आउटवर्ड ई वे बिल के परचेज और क्वांटम सेल में अंतर पाया गया। इसी आधार पर जांच की गई है। दस्तावेजों का मिलान करने के लिए कंपनी से फाइलें तलब की गई हैं।
ई वेस्ट की रिसाइकिलिंग का होता है काम
जीएसटी के अधिकारियों ने बताया कि इस कंपनी में बड़े पैमाने पर ई वेस्ट रिसाइकिलिंग का काम होता है। इसमें कबाड़ हो चुके इलेक्ट्रिकल उपकरणों जैसे एसी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, कंप्यूटर के सामान, टीवी, मानीटर, माइक्रोवेव को रिसाइकिल किया जाता है। जीएसटी के अधिकारियों को यह भी शिकायत मिली थी कि जिन उपकरणों को रिसाइकिल करने के लिए विभिन्न फर्मों से खरीदा जाता है, उनमें से कुछ को रिअसेंबल करके बिना जीएसटी के बाजार में दोबारा बेच दिया जाता है। इसकी भी तफ्तीश की जा रही है।
15 करोड़ का है सालाना टर्न ओवर
अधिकारियों ने बताया कि इस फर्म का सालाना टर्न ओवर 15 करोड़ रुपये से अधिक का है। यह फर्म काफी बड़ी है। जिन बोगस फर्मों के बारे में जानकारी मिली उसका हसन मालिक रिसाइकिलिंग कंपनी के दस्तावेजों से मिलान कराया जाएगा। कंपनी की ओर से जारी किए गए ई वे बिल की भी जांच की जा रही है। अगर जीएसटी चोरी पकड़ में आती है, तो फर्म से उसकी वसूली की जाएगी।