मेरठ 24 सितंबर (प्र)। दारोगा विक्रम सिंह की गिरफ्तारी के बाद भावनपुर थाने में भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगी हैं। डेढ़ माह पहले भी एंटी करप्शन की टीम ने एक अन्य दारोगा को पकड़ने के लिए जाल बिछाया था। सूचना लीक होने से आपरेशन सफल नहीं हो पाया था । वहीं एडीजी डीके ठाकुर ने आदेश दिया है कि दारोगा या सिपाही के पकड़े जाने पर सीओ और थाना प्रभारी पर भी कार्रवाई होगी। पूछा कि दुकान में अस्थाई चौकी का संचालन किसकी अनुमति से हो रहा था। सीओ सदर देहात जांच रिपोर्ट पेश करेगी। अब्दुल्लापुर के नई बस्ती निवासी इमरान चौहान ने दारोगा विक्रम सिंह व प्रशिक्षु दारोगा अर्चना शक्ति पर 20 हजार रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था।
एंटी करप्शन ने इमरान की शिकायत पर कार्रवाई करते शनिवार दोपहर दारोगा विक्रम सिंह को एक चाय की दुकान पर इमरान से 20 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा था। थाना सिविल लाइंस पर एंटी करप्शन की इंस्पेक्टर अर्चना सिंह ने विक्रम सिंह व अर्चना शक्ति के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया था। दोनों को कप्तान ने निलंबित कर दिया। मुकदमे की विवेचना एंटी करप्शन की इंस्पेक्टर अंजू भदौरिया को सौंपी गई। बताया जाता है कि करीब डेढ़ महीने पहले भी भावनपुर थाने में तैनात अन्य दारोगा की शिकायत एंटी करप्शन से की गई थी। उसकी धरपकड़ के लिए जाल बिछाया गया था, लेकिन कार्रवाई से पहले ही सूचना लीक हो गई थी।
इधर, प्रशिक्षु पुलिसकर्मियों में भ्रष्टाचार को लेकर एडीजी डीके ठाकुर ने मीटिंग कर नाराजगी जाहिर की। सीओ सदर देहात नवीना शुक्ला हुए से पूछा कि दुकान के अंदर चौकी किसके आदेश पर संचालित हो रही थी। सीओ का तर्क था कि उनकी तैनाती से पहले ही दुकान में चौकी का संचालन हो रहा था। मीटिंग के दौरान एडीजी ने यह भी तय कर दिया कि भ्रष्टाचार के मामले में सीओ और थाना प्रभारी की जवाबदेही भी तय होगी।