राजनीति में अच्छे लोग आएं तथा जनसमस्याओं को जानने और काम करने वालों को प्रोत्साहन मिले इसकी आवश्यकता पिछले कई दशक से महसूस की जा रही है। और यह भी पक्का है कि कुछ लोगांे ने आगे आने की हिम्मत भी जुटाई और अपनी ओर से प्रयास भी कर रहे हैं। यह बात हमेशा होती रही है कि भ्रष्टाचारी लापरवाही करने वाले और किसी भी रूप से अपराधी चाहे वह आर्थिक हो या भूमाफिया अथवा पूर्व प्रवृति के उनके मुकाबले राजनीतिक दलों को नई पीढ़ी के उत्साही युवाओं को आगे लाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गत सोमवार को दिए गए फैसले कि दागियों के चुनाव लड़ने पर लगाई जाए रोक। और जेल से कोई चुनाव ना लड़ पाए यह मांग आम लोगों में भी उठती रही है। फैसला सरकार और निर्वाचन आयोग को लेना है। सुझाव और निर्देश अदालतें दे सकती है। पार्टी नेताओं को इसके लिए चुनाव से पूर्व कार्यकर्ता मजबूर कर सकते है। आम आदमी तो सिर्फ अपना सुझाव दे सकता है। इसी दृष्टिकोण से मेरा मानना है कि देश के किसी भी सदन के ही नहीं ग्राम प्रधान के चुनाव में भी किसी भी दागी या आरोपी अथवा जेल गए व्यक्ति को लोकतंत्र के इन पवित्र मंदिरों के चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। कानून में ऐसा प्रावधान जिम्मेदारों को करना होगा क्योंकि राजनीतिक दल तो जिताउ उम्मीदवारों को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं चाहे वह जीतने की स्थिति में क्यों ना हो। लेकिन सरकार द्वारा दिए जाने वाले पैसे और जनहित की योजनाओं को समय से लागू करने और उसका सदउपयोग हम चाहते हैं तो राजनीति में साफ सुथरी छवि के लोगों को ही आगे आने का मौका मिलना चाहिए। अच्छी छवि के लोग अगर 80 की उम्र के हों तो कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उनमें लगन अनुभव ज्यादा होता है तो युवाओं में उत्साह। स्वच्छता कायम करने में महत्वपूर्ण हो सकता है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
राजनीति में स्वच्छता लानी है तो अच्छे लोगों को आगे आना होगा
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