गणतंत्र देश में हम ही सरकार और हम ही मतदाता की भावना के तहत लोकतंत्र में जब चुनी हुई सरकार बनने लगी तो बुद्धिजीवियों और समाजसुधारकों के द्वारा शायद यह प्रयास शुरू किया गया होगा कि हमारे जनप्रतिनिधि स्वच्छ और अच्छी छवि के हो और आम आदमी को जल्द न्याय दिलाने के लिए दृढ संकल्प रहे ऐसा मुझे लगता है और इसी भावना के तहत 26 जनवरी को ही भारत निर्वाचन आयोग की स्थापना हुई। और तय हुआ होगा कि 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके युवाओं को पंजीकृत मतदाता बनाकर उन्हें वोट देने का अधिकार उपलब्ध कराया जाए। बीते दिवस देशभर में भारत निर्वाचन आयोग की ओर से आयोजित 13वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस के मौके पर माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी ने मतदाताओं से आहवान किया वो मतदान को राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान समझे तथा राष्ट्र सर्वोपरि की भावना के साथ मतदान करें।
पीएम मोदी ने इस मौके पर देशवासियों को अपनी शुभकामनाएं दी। तथा चुनावों में सक्रिय भागीदारी को लोकतंत्र को मजबूत करने का आहवान किया गया। लोकतंत्र को मजबूत करने अपनी मर्जी की सरकार बनाने और भावनाओं पर खरी ना उतरने वाली सरकार व जनप्रतिनिधियों को नकारने का एक सर्वोप्रिय अधिकार हमें मतदान से मिलता है।
दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को और भी ज्यादा मजबूत करने में भी वोट का अधिकार एक बड़ी उपलब्धि है। यह किसी से छिपा नहीं है कि आज जो एक घाट बकरी और शेर पानी पीने की श्रृंखला में शामिल हैं और हर व्यक्ति को अपनी बात कहने और भावना व्यक्त करने का पूर्ण अधिकार है।
विकास की बयार
देश के दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों मलिन बस्तियों में जो विकास और सुविधाओं की बयार चल रही है यह कहने में कोई हर्ज महसूस नहीं करता हूं कि यह सब हमारे द्वारा अपने मत का प्रयोग कर जो सरकारें बनाई जाती है उन्हीं के प्रयासों का परिणाम है। क्योंकि कई बार देश और प्रदेश से लेकर गांव मौहल्ले तक एक वोट के अधिकार का करिश्मा बड़े बड़े राजनीति पार्टियां देख चुकी हैं।
टीएन शेषन
वैसे तो हर व्यक्ति जो कुछ करने और निर्णय लेने की स्थिति में है। वो खुद भी मतदान कर रहा है और औरों से करा रहा है। मगर हम देश के निर्वाचन आयेग से टीएन शेषन जिनका कहना था कि अगर वो निर्वाचन आयुक्त या पढ़े लिखे नहीं होते तो बस कंडक्टर होते द्वारा सख्त निर्णय लेकर आचार संहिता लागू कराई गई और बड़े बड़े बिगडैल व्यक्तियों के नकेल डाली गई तथा धन व बाहुबल का प्रदर्शन रोक चुनाव में आहूति देने का मौका दिया। वो अपने आप में इस देश के मतदाता और जागरूक नागरिक कभी नहीं भूला पाएंगे।
आज भी जागरूकता की आवश्यकता क्यों
दोस्तों इतने वर्ष हो गए निर्वाचन आयोग स्थापित हुए और गत दिवस हम 13 तेरहवा मतदाता दिवस मना चुके हैं लेकिन फिर भी मतदाताओं में जागरूकता और उन्हें वोट के अधिकार का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है इस विषय में सोचना होगा।
घूमने जाने की बजाय वोट डालने जाएं
बीते दिवस और पूरे साल में भी समय समय और जगह जगह पर मतदाता जागरूकता गोष्ठियां और रैलियां विभिन्न रूपों में होती है। इसके बावजूद कुछ लोग मतदान दिवस की छुटटी पर अपने मन की सरकार बनाने का अधिकार उपयोग करने की बजाय अपनी सार्म्थ्य के अनुसार पहाड़ों धार्मिक स्थानों पर घूमने चले जाते हैं और ऐसे ही लोग यह कहते सुने जाते हैं कि सरकार सही काम नहीं कर रही। घोषणा तो बहुत कर दी लेकिन लागू नहीं की गई मैं तो इससे परेशान हो गया है। ऐसे मतदाताओं से मेरा आग्रह है कि वो मतदान के कहीं ना जाएं और परिचितों को भी ना जानें दे।
नाश्ते खाने से पहले करें मतदान
नाश्ते और खाने से पहले वोट डालें और दूसरों को भी मतदान स्थल भेज का काम करें। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इससे जो सरकारें बनेंगी वो अच्छा काम करेंगी अगर इन भावनाओं पर खरी नहीं उतरती है तो हम कह सकते हैं कि अगली बार वो जीत का सेहरा नहीं बाधं पाऐगी। क्योंकि हममें वोट के अधिकार का जलवा पैदा हो चुका है।
– रवि कुमार बिश्नोई
संस्थापक – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन आईना
राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय समाज सेवी संगठन आरकेबी फांउडेशन के संस्थापक
सम्पादक दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
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