बागपत. केलादेवी भूमिहीन थी, इसलिए मरने के बाद उनके हिस्से में सड़क किनारे की दो गज जमीन आई। अनुसूचित जाति के लोगों के लिए भूमि पट्टों से लेकर तमाम सरकारी योजनाओं की पोल खोल देने वाली यह स्याह तस्वीर गत दिवस भैड़ापुर गांव में सामने आई। गांव में श्मशान स्थल नहीं होने के कारण केलादेवी का अंतिम संस्कार सड़क किनारे करना पड़ा। इससे पहले ग्रामीणों ने विरोध स्वरूप बंथला-ढिकौली मार्ग पर शव रखकर प्रदर्शन भी किया।
गांव में अनुसूचित जाति की 75 वर्षीय महिला केलादेवी पत्नी हरिचंद का गत दिवस निधन हो गया। श्मशान स्थल नहीं होने के कारण अंतिम संस्कार की समस्या बनी तो आक्रोशित ग्रामीणों ने वृद्धा का शव रखकर प्रदर्शन किया। काफी देर तक जब कोई जनप्रतिनिधि और अधिकारी उनकी सुध लेने मौके पर नहीं पहुंचे तो ग्रामीणों ने वहीं सड़क किनारे अंतिम संस्कार कर दिया। ग्रामीणों ने बताया कि जिन लोगों के पास खेती की भूमि है, वह अपने खेतों पर ही अंतिम संस्कार करते हैं। समस्या भूमिहीन लोगों को उठानी पड़ती है। मृतका केलादेवी का एक ही पुत्र है जो राजमिस्त्री है। परिवार के पास खेती की भूमि नहीं है और न ही सरकार की तरफ से कोई पट्टा आंवटित किया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान समेत अन्य जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से कई बार गांव में श्मशान स्थल बनवाने की मांग कर चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में करीब 50 परिवार ऐसे हैं जिनके पास खेती की भूमि नहीं है। इन परिवारों में किसी की मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार करने की समस्या होती है।
केलादेवी का सड़क किनारे करना पड़ा अंतिम संस्कार, सरकारी योजनाओं की इस तरह खुली पोल
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