कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिये जिम्मेदार पुलिस व प्रशासन के अधिकारी आचार संहिता, धारा 144 का उल्लंघन करने के लिये करे कार्रवाई
मेरठ 13 नवंबर। लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज के 51 वर्ष पूर्व होने के उपलक्ष्य में गत दिवस यहां के डाॅक्टरों ने मैराथन दौड आयोजित की और आयोजकांे द्वारा स्पोर्ट स्टेडियम में क्रिकेट आदि के मैच आयोजित किये जा रहे हैं यह भी बहुत अच्छा है। लेकिन मेडिकल कालेज परिसर में बिना
अनुमति लिये रंगारंग कार्यक्रमों के नाम पर जो डीजे बजाए जा रहे हैं और डांस आदि के आयोजन किये जा रहे है वो किसी भी रूप में सही नहीं कहे जा सकते। आयोजकों का यह कहना कि मेडिकल परिसर में कार्यक्रम हो रहे हैं इसलिये अनुमति की जरूरत नहीं हंै क्योंकि मेडिकल कालेज किसी के घर की या व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है। यह सार्वजनिक सरकारी स्थान है और वैसे भी वर्तमान में नगर निगम के चुनाव चल रहे हैं जिन्हे लेकर धारा 144 व आचार संहिता लागू हैं। ऐसे में हर आयेाजन के लिये अनुमति लेना जरूरी है। बताते चले कि पूर्व में जब यहां पंकज यादव कलक्ट्रेट में थे तो मेडिकल परिसर में ऐसे एक आयोजन डाॅक्टरों का हुआ था जिसे लेकर बवाल हुआ था तो लोगों ने कहा था कि जहां मरीज दर्द से कर्राह रहे हो और उन्हे दवाई न मिल रही है वहां जश्न मनाया जाने ठीक नहीं और इन्हे अनुमति कैसे मिली। उस समय के प्राचार्या का कहना था कि कोई अनुमति नहीं दी गई थी और उसकी जांच आज भी शायद कागजों में चल रही है। उसके बाद भी 12 से 22 नवंबर तक चलने वाले आयोजनों को किसी भी रूप में मेडिकल कालेज परिसर में प्रशासन को आयोजित नहीं होने देना चाहिये और प्रधानासचार्या प्रचार्या डा. कीर्ति दूबे से पूछा जाना चाहिये कि की आपकी उपस्थिति में बिना अनुमति के यह कार्यक्रम कैसे होता रहा। दूसरी ओर जब राजनाथ सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे तब एक आदेश शायद जारी हुआ था जिसमे कहा गया था कि मनोरंजन का कोई भी कार्य कहीं भी हो अगर वो किसी सार्वजनिक स्थान पर है तो उससे
मनोरंजन कर वसूली होगी। उस हिसाब से भी आयोजन पूरी तरह से गलत है। बिना अुनमति के देर रात तक डीजे बजाए जाना और नाच गाने करना माननीय न्याय के आदेशों के भी विरूद्ध है। ऐसे में प्रशासन को मेडिकल कालेज में इन कार्यक्रमों के आयोजनों पर तुरंत रोक लगाते हुए अनुमति न लेने के लिये आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिये। और यह भी पूछा जाना चाहिये कि इस पर खर्च होने वाला लाखों रूपया कहां से आएगा और उसका क्या हिसाब होगा। और जिन लोगों ने दिया कहीं वो दवा कंपनी के संचालक तो नहीं जिन्होंने अपने भविष्य का फायदा देखकर फंड जुटाने में आयोजकों की मदद की हो। फेस्ट में 14 नवंबर को डीजे चेस्टाआएंगी तो 17 को अमनप्रीत वाही, 19 को डीजे जेजी और 22 को सागरिका डेब आएंगी। डा. सचिन कुमार ने बताया कि 22 नवंबर को चलने वाले इन कार्यक्रमों में ग्लेम नाइट, कस्तूरी हाट म्यूजिकल ईवनिंग, डांस, डिबेट, स्टेज एंड स्ट्रीट प्ले के अलावा क्रिकेट, फुटबाल, और वालीबाॅल का आयोजन भी होगा। आयोजकों का कहना है कि 30 मेडिकल कालेजों के इंटर्न इसमे हिस्सा ले रहे हैं और यह आयोजन हर साल कराया जाता है। मगर नागरिकों का मौखिक रूप से कहना था आयोजन ठीक है मगर मेडिकल कालेज में किसी भी रूप में नहीं होना चाहिये। 1999 बेच के कई देशों में सक्रिय डाॅक्टर इसमे भाग ले रहे हैं। यह अच्छी बात है मगर उनके लिये नियम और कानून तोड़े जाए यह कहां की तूक है। देश से बाहर सेवा दे रहे डाॅक्टर माल कमा रहे हैं किसी पर कोई अहसान नहीं कर रहे । सेवा भाव तो होता तक जब इनके द्वारा अपने देश के गांवों में नागरिकों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जाती।
समाजिक कार्यकर्ता रवि कांत द्वारा जनपद के प्रभारी मंत्री व अधिकारियों को इसलिये टवीट किया गया मेरा मानना है कि इस आयोजन के बारे में देखे और यहां भर्ती मरीजों व तीमारदारों की भावनाओं से खिलवाड़ कहे जा सकने वाले इस आयोजन के लिये जिम्मेदारों के विरूद्ध कार्रवाई करे और यह सुनिश्चिित काराए कि डाॅक्टर अपना स्थापना समारोह किसी ऐसे स्थान पर मनाए जहां मरीजों को परेशानी न हों और वैसे भी एक अखबार में छपी खबर के अनुसार एक हजार छात्र छात्राओं की भीड़ जुटी और उसके बाद भी प्रशासन से अनुमति न लेना अगर कोई घटना हो जाती तो उसका जिम्ममेदार कौन होता? क्योंकि यह आयोजन कोई समाजसेवा के लिये तो हो रहा है इसकी नहंी असलीयत क्या है ? यह तो आयोजक या फिर वहां मौज्ूद आयोजक ही जान सकते हैं। कुछ लोगों का कहना था कि ऐसे आयोजन बिना नशे के संपन्न नहीं होते इसलिये यह भी हो सकता है कि बिना अनुमति के ढंके छिपे रूप में उसका भी उपयोग हुआ हो। एक तरफ प्रधानाचार्या खुद इस आयेाजन में शामिल हो रही है और दूसरी ओर कहा जा रहा है कि मेडिकल कालेज प्रशासन भी इस आयोजन से अपने आप को अलग रखे हुए हैं। कानून व्यवस्था और आचार संहिता व धारा 144 का पालन कराने वाले प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को इस संदर्भ में कार्रवाई करनी चाहिये। और उसको करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि आम आदमी के खिलाफ अगर ऐसे मामले में कार्रवाई होती तो क्या होती क्योंकि चिकितसक समाज के लिये महत्वपूर्ण तो है आदरणीय भी है। लेकिन निमयों का उल्लंघन करने की अनुमति किसी को नहीं दी जानी चाहिये।
-संवाद व मौखिक सूत्रों पर आधारित