मेरठ 3 नवंबर। जब विधानसभा चुनाव में यूपी में भाजपा का परचम लहराया तो शहर विधानसभा क्षेत्र से अनेक बार अपनी जीत का ध्वज फहरा चुके उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व विधायक डा. लक्ष्मीकांत वाजपेई को पराजय का मुंह क्यों देखना पड़ा यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। उनके विधानसभा क्षेत्र का ज्यादातर का इलाका नगर निगम के अंतर्गत आता है तथा उनकी पार्टी के मेयर द्वारा जनता की कसौटी पर खरा उतरने के लिये प्रयास न किये जाने के परिणाम स्वरूप मतदाताओं के अनुसार भाजपा और वाजपेई जी को यह दिन देखना पड़ा।
मगर उसके बाद भी प्रदेश में भाजपा के जो अत्यंत सक्रिय विधायक कहे जा सकते हैं। उनमे चुनाव न जीतने के बाद भी वाजपेई जी का नाम महत्वपूर्ण रूप से लिया जा सकता है। क्योंकि जनसमस्याओं के समाधान और नागरिकों की परेशानी के हल हेतु शायद कोई सा ऐसा सरकारी विभाग हो जिसके अधिकारियांे को डा. लक्ष्मीकांत वाजपेई द्वारा झकझोर न गया हो और उनकी जिम्मेदारी को समझाने के साथ साथ काम करने के लिये भी मजबूरन किया जा रहा है।
गत दिवस डा. लक्ष्मीकांत वाजपेई कैंट क्षेत्र से पूर्व विधायक अमित अग्रवाल आदि को लेकर डीएम से मिलने पहुंचे और उनके सामने जनता की कठिनाईयों को रखकर समाधान की मांग की। ऐसे समाचार आये दिन अखबारों में पढ़ने तथा सोशल मीडिया पर देखने और पढ़ने को मिलने के बाद अब छावनी विधानसभा क्षेत्र में भी कुछ नागरिकों द्वारा यह कहा जाने लगा है कि वाजपेई जी कभी अमित अग्रवाल को लेकर छावनी क्षेत्र की समस्सयाओं से संबंध कैंट बोर्ड सहित अन्य विभागों के अधिकारियों से भी जाकर मिलिए और परेशानियों का हल निकलवाएं। आप किसी एक क्षेत्र के नहीं बल्कि भाजपा के बड़े लीडर है इसलिये पूरा जनपद और प्रदेश आपका कार्य क्षेत्र है तो छावनी की जनता आपकी सेवाओं से वंछित क्यों रहे। आज कई युवा यह कहते सुने गए कि लगता है कि अब तो अपने कैंट क्षेत्र की जनसमस्याओं के समाधान के लिये डा.लक्ष्मीकांत वाजपेई का द्वार ही खटखटाना पड़ेगा। और उनसे आग्रह करना पड़ेगा कि वाजपेई जी कभी छात्रवी के पूर्व विधायक अमित अग्रवाल को लेकर छावनी क्षेत्र में भी आए और नागरिकों से मिलकर उनकी समस्याओं का समाधान कराए।
वाजपेई जी कभी अमित अग्रवाल को लेकर कैंट में भी आईयें!
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