Sunday, September 15

निर्विरोध चुनी जाए मेरठ कॉलेज की मैनेजमेंट कमेटी संजय द अध्ययन अमित संगल गौरव अग्रवाल बिट्टन आदि का भी है यही मानना

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दैनिक केसर खुशबू टाइम्स
मेरठ, 09 अगस्त। उत्तरी भारत की प्रमुख शैक्षिक संस्था जिसमें शिक्षा प्राप्त कर आज देश के बड़े पदों पर विराजमान हैं यहां के छात्र ऐसी नामचीन संस्था मेरठ कॉलेज की मैनेजमेंट कमेटी के चुनाव एक सितंबर को होने की खबर है। जानकारी अनुसार बीती 27 अगस्त को प्रकाशित हो चुकी है अंतिम सदस्यता सूची। 12 अगस्त तक आपत्ति देने की अंतिम तिथि है और 13 को सुनवाई उपरांत और इसी दिन अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन होगा। 16 व 17 को नामांकन प्राप्त करने की तिथि 21 को नामांकन फार्म जमा होंगे 22 को होगी जांच इसी दिन शाम को वैध नामांकन पत्रों की सूची का प्रकाशन 23 को नाम वापसी और इसी दिन प्रत्याशियेां की अंतिम सूची का प्रकाशन एक को मतदान और इसी दिन परिणाम घोषित होगा।
यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि पूर्व में मेरठ कॉलेज की प्रबंध समिति का चुनाव कितने बड़े स्तर पर होता है। सदस्यों को आकर्षित करने के लिए सदस्य एड़ी चोटी का जोर लगाते हैं। पिछले चुनावों के बाद से अब तक कोई नया सदस्य नहीं बनाया गया है। इसलिए मतदाता भी वही हैं। जिसे देखकर ऐसा लगता है कि जो वर्तमान प्रबंध समिति हैं इस बार भी उनका ही जलवा रह सकता है। इसलिए मेरा और मेरठ कॉलेज के कई सदस्यों और जागरूक नागरिकों का भी मानना है कि प्रबंध समिति के लिए चुनाव की बजाय आपसी सहमति से ही पदाधिकारी चुन लिए जाएं तो अच्छा है क्योंकि वैसे तो यह बड़ी बात नहीं है लेकिन अध्यक्ष उपाध्यक्ष मंत्री सहअवैतनिक मंत्री के लिए प्रति नामांकन दस हजार रूपये कार्यकारिणी सदस्य के लिए पांच हजार रूपये सदस्यता सूची प्राप्त करने के लिए एक हजार रूपये खर्च करने की आवश्यकता शायद नहीं होगी क्येांकि पूर्व में एक गुट के मुखिया विवेक गर्ग महीनों पहले से सक्रिय हो जाते थे। बताया जा रहा है कि इस बार वो विदेश गए हुए थे और पिछले दिनों लौटे हैं। मगर उनकी चुनावी सक्रियता नहीं दिखी है। नया गुट भी सामने नहीं आया है। इसलिए पुराने पदाधिकारी रहे व्यक्तियों का मानना है कि वैसे तो सुरेश जैन रितुराज और डॉक्टर ओमप्रकाश गु्रप से किसी को शिकायत अभी तक सुनाई नहीं दी है। जितना काम किया जा सकता है वो किया गया है।
इसलिए कई का मानना है कि चुनाव लड़ने और मतदाताओं को लुभाने के लिए जो दावतों का दौर चलता है उस पर पैसा खर्च करने की बजाय कुछ वरिष्ठ सदस्यों को बैठाकर सर्वमान्य हल ऐसा निकाला जाए जो बिना चुनाव के प्रबंध समिति के पदाधिकारी निर्वाचित हो जाए। कॉलेज के हित में यही नजर आता है। क्येांकि जो पैसा चुनाव में खर्च होगा वो छात्रों व शिक्षकों की कल्याण योजना में लगाया जा सकता है। पिछले चुनाव में कौन हारा कौन जीता वो अलग बात है लेकिन एक पक्ष के समर्थन में एक मुश्त वोट डलवाने में सफल रहे संजय कुमार द अध्ययन सहित एलेक्जेंडर क्लब के सचिव अमित संगल संयुक्त सचिव गौरव अग्रवाल, हर्ष वर्द्धनबिटटन एडवोकेट का भी मानना है कि चुनाव निर्विरोध हो तो ही ठीक हो। इनका कहना है कि पूर्व में सेठ दयानंद गुप्ता अरविंद नाथ सेठ द्वारा इस शिक्षा संस्था को ऊंचाईयों तक ले जाने के लिए काफी प्रयास किए गए थे अब राम कुमार गुप्ता काफी कोशिश कर रहे हैं। अब सबको इसकी गरिमा बनाने के लिए निर्विरोध चुनाव ही कराना चाहिए।
प्रस्तुति: अंकित बिश्नोई, मजीठियां बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री

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