मेरठ 20 नवंबर (प्र)। छावनी परिषद (कैंट बोर्ड) के करोड़ों रुपये रेलवे, सेंट्रल एक्साइज, इनकम टैक्स, जीएसटी जैसे विभाग दबाए हुए हैं, जबकि कैंट बोर्ड बजट का संकट झेल रहा है बड़े बकाएदारों से वसूली के लिए मध्य कमान लखनऊ के निदेशक एनवी सत्यनारायण मंगलवार को मेरठ पहुंचे। उन्होंने विभागों के अधिकारियों से अतिशीघ्र बकाया भुगतान कराने का अनुरोध किया। मध्य कमान लखनऊ के निदेशक प्रथम एनवी सत्यनारायण ने मेरठ का दो दिवसीय दौरा किया। कैंट बोर्ड के सर्विस चार्ज और प्रोपर्टी टैक्स के बड़े बकाएदार सरकारी विभागों के साथ बकाया वसूली के लिए निदेशक ने बातचीत की।
मंगलवार को कैंट बोर्ड कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए निदेशक एनवी सत्यनारायण ने कहा कि कैंट बोर्ड सरकारी विभागों से सर्विस चार्ज लेता है और निगमों से प्रोपर्टी टैक्स लिया जाता है कैंट बोर्ड का सबसे बड़ा बकाएदार उत्तर रेलवे है। रेलवे ने 1982 से कैंट बोर्ड का सर्विस चार्ज नहीं चुकाया है। रेलवे पर 12 करोड़ रुपये बकाया है।
रेलवे पर 1982 से 10 करोड़ का पुराना सर्विस चार्ज समेत कुल 12 करोड़ रुपये बकाया है। इसी तरह से इनकम टैक्स विभाग पर तीन करोड़, सीजीएसटी पर दो करोड़ रुपये, बीएसएनएल पर 17 लाख रुपये बकाया है।
रेलवे के डीआरएम, बीएसएनएल के सीजीएम समेत इन विभागों के अधिकारियों से मिलकर बकाया चुकाने के लिए कहा। उन्होंने शीघ्र ही बकाया चुकाने का आश्वासन दिया है। अगर पूरे बकाये की वसूली हो जाए तो कैंट बोर्ड की हालत सुधर जाएंगी।
शासन स्तर पर चल रहा विलय का मामला
कैंट बोर्ड के नगर निगम में विलय के सवाल पर निदेशक ने कहा कि इस मामले में सरकार के स्तर पर निर्णय होना है। कैंट बोर्ड से प्रस्ताव चला गया है। लीज के मामलों पर नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने लीज के लगभग 32 मामलों में सीईओ को निर्देश दिए हैं। इससे पहले निदेशक ने कैंट बोर्ड के मुख्य अधिशासी अधिकारी जाकिर हुसैन, नामित सदस्य डॉ. सतीश चंद्र शर्मा के साथ बैठक की। इस अवसर पर कार्यालय अधीक्षक/ मीडिया प्रभारी जयपाल सिंह तोमर, राजस्व अधीक्षक राजेश जान उपस्थित रहे।