देश के सबसे बढ़े दलों में से एक भाजपा द्वारा केन्द्र में सरकार बनाने के बाद से मुस्लिम समुदाय को जोड़ने के संदर्भ में समय समय पर बड़े नेताओं के आने वाले ब्यानों के बावजूद लगता है की भाजपा के स्थानीय स्तर के नेता मुस्लिम समाज के सर्कुलर सोच के मतदाताओं में अभी अपनी पकड़ शायद नही बना पाये है वरना गंगा जमुनी तहजीब के अपने स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठ भूमि वाले जनपद और महानगर में मुस्लिम बाहुलीय क्षेत्रों में अपना प्रत्याक्षी पार्षद पद के लिए उतारनें में उन्हे असफलता नही मिलती।
बताते चले की गत रात को भाजपा हाई कमान द्वारा नगर निगम मेरठ के लिए अपने 72 पार्षदों की बहुप्रतिक्षित सूची जारी की गयी जिसमें वार्ड 17 अब्दुलापुर से शौकत अली उर्फ गुप्ता, वार्ड 70 स्माईल नगर से रियाजुद्दीन उर्फ राजु, वार्ड 72 पूर्वी इस्लामाबाद से तहसीन अंसारी, वार्ड 85 जाकिर हुसैन काॅलोनी से जीया भारती तथा वार्ड 87 जाकिर हुसैन काॅलोनी से राहत परवीन को टिकट दिया बताते है मगर भारी मशक्कत के बाद भी 18 मुस्लिम वार्डो में कोई उम्मीदवार घोषित उक्त लाईन लिखे जाने तक नही किये गये जिससे ऐसा लगता है की इन वार्डो में भाजपा को ढुढ़ने से भी उम्मीदवार नही मिल रहे है। बाकी सही क्या है यह तो भाजपा नेता ही जान सकते है मगर जागरूक नागरिकों मे चर्चा है की भाजपा नेतृत्व स्थानीय स्तर पर इस मामलें में कमजोर साबित हो रहा लगता है।
क्योकि हार जीत एक अलग बात थी मगर भाजपा के स्थानीय नेताओं को इन क्षेत्रों में अपना प्रत्याक्षी जरूर खड़ा करना चाहिए था नगर वासियों का मानना है की अगर भाजपा के पदाधिकारी ढूढ़ने में असफल थे तो उन्हे पूर्व विधायक डाॅ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को इस काम की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए थी उनके हर मौहल्लें में चाहे वो हिंदु हो या मुस्लिम मजबूत पकड़ है इसलिए उन्हे दमदार उम्मीदवार तो मिल ही सकते थे।
भाजपा को क्यो नही मिले 18 मुस्लिम वार्डो में पार्षद पद के उम्मीदवार
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