मेरठ 18 मई (प्र)। अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस प्रत्येक वर्ष 18 मई को मनाया जाता है। वर्ष 1983 में 18 मई को संयुक्त राष्ट्र ने संग्रहालय की विशेषता, महत्व को समझते हुए अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाने का निर्णय लिया था।
इसका उद्देश्य जन सामान्य में संग्रहालयों के प्रति जागरूक व उनके कार्यकलापों के बारे में जागृति फैलाना है। इस बार अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस की थीम शिक्षा और शोध के लिए संग्रहालय रखी गई है।
मेरठ का राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय पूरी तरह से आजादी के आंदोलन के इतिहास को सहेजे हुए खजाने का लाभ यहां पहुंचकर शोधार्थी उठाते हैं। प्रदेश में 12 म्यूजियम में मथुरा संग्रहालय सबसे पुराना है। मेरठ के संग्रहालय का निर्माण संस्कृति विभाग द्वारा 1995 में किया गया। यहां मेरठ से लेकर पूरे देश की स्वतंत्रता संग्राम की कहानी, तस्वीरों के प्रदर्शन के लिए पांच गैलरी बनी हैं। पुस्तकालय में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी पुस्तकों का संग्रह है। संग्रहालय का औपचारिक लोकार्पण प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की 150वीं वर्षगांठ पर 10 मई 2007 को किया गया था। शहीद स्तंभ, अमर जवान ज्योति, शहीद मंगल पांडेय और कोतवाल धन सिंह गुर्जर की प्रतिमा भी यहां स्थापित हैं।
आजादी के आंदोलन में मेरठ के योगदान के खुलते हैं यहां पन्ने
1857 से 1947 तक चले आजादी के आंदोलन का इतिहास और मेरठ समेत देशभर में विभिन्न इलाकों के योगदान के चिह्नों को मेरठ के संग्रहालय में संजोया हुआ है। 1857 की क्रांति से जुड़े अभिलेख और गजेटियर यहां रखे गए हैं। क्रांति से जुड़े दस्तावेज जैसे डाक टिकट, आजाद हिंद फौज की वर्दी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की उस समय की तस्वीर, चरखा, खोदाई में • मिले मृदभांड आदि रखे हुए थे। संग्रहालय में साप्ताहिक पत्र द लाइट हाउस की दुर्लभ प्रतियां मौजूद हैं। महाभारतकालीन पाटरी, 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 को जारी डाक टिकट यहां के संग्रह में हैं।
प्रभारी उप निदेशक डॉ. मनोज गौतम ने कहा कि 1950 के आसपास देश में संग्रहालयों की भूमिका महसूस की जाने लगी और कई संग्रहालयों की स्थापना हुई। भारत में लगभग 400 से अधिक संग्रहालयों की स्थापना हो चुकी है। लगातार संग्रहालयों की संख्या बढ़ती जा रही है। मेरठ का संग्रहालय आजादी के आंदोलन पर महत्वपूर्ण जानकारी देता है।