मेरठ 26 अक्टूबर। आवास विकास के अधिकारी किस प्रकार से शासन की नीतियों का मजाक उड़ाते हुए अपने हिसाब से उनका उपयोग करने में महारथ हासिल कर चुके हैं। इसका उदाहरण आज उस समय देखने को मिला जब आवास विकास के अधीक्षण अभियंता एसपीएन सिंह से उनके कार्यालय में हुई मुलाकात और विभाग के अधिकारियों की
लापरवाही के चलते क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण के संदर्भ में जानकारी प्राप्त की गई तो उनका कहना था कि अवैध निर्माणों के समन पर विचार चल रहा है। जब वो तय हो जाएगा। तब ही इस संदर्भ में कोई कार्रवाई की जाएगी। जब उनसे पूछा गया कि आवास आयुक्त ने इस संदर्भ में कोई लिखित आदेश आपको दिया है तो उनका कहना था कि नहीं। मौखिक रूप से उन्होंने कहा कि अभी फिलहाल अवैध निर्माणों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाए और समन के लिये नीति को तैयार किया जा रहा है। यह पूछने पर की क्या सरकारी जमीनों पर जिन लोगों ने अवैध निमा्रण किये है अथवा आवासीय भूखंड पर साईड बैक और फ्रंट छोड़े बिना ही निर्माण किये जा रहे हैं। उनके विरूद्ध क्या कार्रवाई कर रहे हैं तो उनका कहना था कि अब कार्रवाई तो तब होगी जब
हाउसिंग कमिश्नर के यहां से कोई अगला आदेश प्राप्त होगा।
अधीक्षण अभियंता एसपीएन सिंह का ध्यान जब उनके कार्यालय के सामने रिहायशी प्लाट पर अवैध रूप से बिना साइड फ्रंट और बेक छोड़े बन गए नर्सिंग होम तथा मंगल पांडे नगर में नाले की किनारे सड़क पर जो तमाम रिहायशी भवन को तोड़कर वहां काॅमर्शियल काॅम्पलैक्स और फ्लैट बनाए जा रहे हैं। इनके विरूद्ध क्या कार्रवाई कर रहे हैं तो उनका कहना था कि आप अपने अखबारों में छापिए पुलिस और प्रशासन से मजिस्टेट मिलते ही कार्रवाई की जाएगी।
जब उनसे पूछा गया कि जब यह निर्माण हो रहे होते हैं तो आप क्यों नहीं रोकते तो उनका कहना था कि हम किस किस से मारपीट करेंगे। कुल मिलाकर उनसे हुई वार्ता मामले को घूमाने फिराने और टालने पर आधारित थी। वो अवैध निर्माणों पर कार्रवाई क्यों नहीं करना चाहते यह तो वही जान सकते हैं लेकिन फिलहाल उप्र आवास आयुक्त उत्तर प्रदेश के नाम पर अवैध निर्माणों को खुली छूट मिली हुई है। जब ज्यादा एसपी एन सिंह से पूछा गया तो उनका कहना था कि आप एक्जूक्यिूटिव इंजीनियर से मुलाकात करे तो सवाल यह उठता है कि किसी को सब अधिकारियों से मिलने की क्या आवश्यकता हैं आप हैंड है तो आप ही बताए। तो उनका कहना था कि आप खबर छापे हम जांच कर यह बता देंगे कि क्या किया जा रहा है और क्या किया जा सकता हैं लेकिन फिलहाल जब तक उप्र आवास आयुक्त के यहां से समन के संदर्भ में कोई निर्णय होकर निर्देश नहीं दिये जाते तब तक हम सिर्फ रोकने की बात कहीं सकते हैं। काम रोकना या न
रोकना निर्माणकर्ता का काम है।
हां हमारी कोशिश है कि अगर निर्माण नहीं रूक रहा है तो कर्ता के खिलाफ रिपोर्ट कराए। जब उनसे पूछा गया कि कितनी एफआईआर करायी होंगी तो उनका कहना था कि 10 या 12 प्रतिशत जबकि फिलहाल आवास विकास के क्षेत्र में सैकड़ो की संख्या में अवैध रूप से अवैध निर्माण चल रहे हैं। ओर
जानकारों का कहना है यह सब क्षेत्र के जेई ऐई व प्रभारी एक्जूक्यिूटिव की मिलीभगत से हो रहे हैं। अधीक्षण अभियंता की बात से यह स्पष्ट हुआ कि वो उप्र आवास आयुक्त के नाम पर अपनी जिम्मेदारियों से बचने का कोई भी मौका छोड़ने को तैयार नहीं थे। शायद इसलिये आवास विकास के क्षेत्र में सरकारी और आवासीय भूमि पर अवैध रूप से काॅमर्शियल काॅम्पलैक्स और अस्पतालों के निर्माण हो रहे हैं। सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन जौ मौखिक सूत्र का कहना है कि जो लगता है कि क्षेत्र ेके जेई ऐई की जेब गर्म कर मंगल पांडे नगर व आवास विकास के अन्य क्षेत्रों में अवैध निर्माण कर रहे हैं। और उसे रोकने के लिये आवास विकास के अधिकारी किसी भी रूप में तैयार नहीं है। दैनिक केसर खुशबू टाईम्स से सहभार
उप्र आवास आयुक्त के नाम पर अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करना टाल रहे हैं जिलों के आवास विकास के अधिकारी
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