Thursday, November 21

सीएए को लेकर बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति के चेयरमैन थे सांसद राजेंद्र अग्रवाल

Pinterest LinkedIn Tumblr +

मेरठ, 12 मार्च (प्र)। नागरिकता संशोधन विधेयक की आवश्यकता व उपयोगिता के लिए 16वीं लोकसभा में संयुक्त संसदीय समिति का गठन हुआ था। 30 सदस्यीय समिति के चेयरमैन मेरठ-हापुड़ लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजेंद्र अग्रवाल थे। इसके अतिरिक्त इसमें सचिवालय से पांच, गृह मंत्रालय से पांच, कानून एवं अधिकारिता मंत्रालय से छह व विदेश मंत्रालय से तीन प्रतिनिधि भी शामिल किए गए थे। इस समिति का उद्देश्य पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश में प्रताड़ित होने पर भारत में शरण लिए वहां के अल्पसंख्यकों की स्थिति का आकलन करना और उनको नागरिकता देने से संबंधित मांग का परीक्षण करना।

राजेंद्र अग्रवाल बताते हैं कि इस समिति ने असम, बंगाल समेत कई सीमावर्ती प्रदेशों में भ्रमण किया। इसमें लोकसभा व राज्यसभा के सदस्यों को शामिल किया गया था। इसमें सभी दलों के प्रतिनिधि होते हैं। सभी सदस्यों को वहां से आए शरणार्थियों से संवाद भी करना था। संसद में जो चर्चा हुई थी, जिन भी सांसदों ने जो प्रसंग रखे थे, उससे कहीं अधिक भयावह सच्चाई तब सुनी गई जब समिति के सदस्य ऐसे लोगों से मिले थे। उनके साथ जो घटनाएं हुई उससे सभी भावुक थे।

इससे संबंधित 14 बैठकें हुईं। कई संस्थानों, संगठनों से भी वार्ता की गई। राजेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि भारत-पाकिस्तान का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ था लेकिन इसमें नागरिकों का क्या दोष था। फिर भी पाकिस्तान व बांग्लादेश में वहां के अल्पसंख्यकों का धर्म को लक्ष्य बनाकर सुनियोजित तरीके से उत्पीड़न किया गया। ऐसे लोग जब प्रताड़ना नहीं सहन कर सके तो भारत में भागकर आए। समिति की रिपोर्ट में यह संस्तुति की गई कि ऐसे लोगों को भारत की नागरिकता दी जाए। जिन लोगों को नागरिकता आजादी के बाद ही मिल जानी चाहिए थे उन्हें पूर्ववर्ती सरकारों ने नहीं दिया।

अब ऐसे लोगों को न्याय मिलने जा रहा है। सांसद ने बताया कि 2019 में जब कानून बना तब विरोध हुआ। लोगों को गलतफहमी थी कि विरोधियों ने गलत संदेश प्रसारित किया कि इस कानून के लागू होने से नागरिकता चली जाएगी जबकि यह कानून तो सिर्फ नागरिकता देने के लिए लाया गया है। इससे वे गैर मुस्लिम जो पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान से शरणार्थी बनकर आए हैं वे विदेशी, शरणार्थी आदि शब्दों से संबोधित नहीं किए जाएंगे, बल्कि भारत के नागरिक कहलाएंगे।

पीएम मोदी का बहुत-बहुत आभार : डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी
सांसद राज्यसभा व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भाजपा डा. लक्ष्मीकान्त वाजपेयी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का बहुत-बहुत आभार। उन्होंने जो कहा वह सच साबित करके दिखा दिया। एक बार फिर यह साबित हुआ कि मोदी हैं तो मुमकिन है। नागरिकता कानून 1955 में बदलाव करने के लिए जो संशोधन विधेयक 2016 में संसद में पेश किया गया था। 2019 में यह कानून बन गया था जिसकी अब अधिसूचना लागू हुई है। यह ऐतिहासिक कदम है।

Share.

About Author

Leave A Reply