लखनऊ, 27 नवंबर। शहरों की सफाई के लिए आउटसोर्सिंग के जरिये सफाई कर्मचारी रखने के नाम पर हो रहे खेल पर अब अंकुश लगाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए शासन ने सफाई कर्मियों की तैनाती से संबंधित मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करने का फैसला किया है। नई व्यवस्था में मोहल्लों में आबादी के आधार पर सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी। जिस वार्ड में अधिक कर्मचारी होंगे, उन्हें हटाकर जरूरत के मुताबिक दूसरे वार्डों में तैनात किया जाएगा। इससे कार्यदायी संस्था के माध्यम से कर्मियों को रखने के खेल पर भी अंकुश लगेगा।
शहरी क्षेत्रों में सफाई कर्मियों की समस्या काफी बड़ी है। कुछ क्षेत्रों में कई-कई कर्मचारी लगे हैं और कहीं पर इनकी संख्या काफी कम है। इसी तरह नगर निगमों में हर साल सफाई उपकरण खरीदे जाते हैं, इसके बाद भी जरूरत पड़ने पर ये उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।
प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने पिछले दिनों शहरों में सफाई व्यवस्था को लेकर उच्चाधिकारियों की बैठक की थी। इसमें सहमति बनी कि शहरों में नगर निगमवार सफाई उपकरणों की गिनती कराई जाएगी।इसके साथ ही यह भी रिपोर्ट तैयार की जाए कि किस शहर में कितने सफाई कर्मचारी स्थाई, संविदा और कार्यदायी संस्था के माध्यम से लगाए गए हैं। इनके वेतन व मानदेय पर कितना खर्च हो रहा है।
इससे किसी भी शहर में सफाई से संबंधित संसाधनों का आकलन कराने के बाद यह पता चल जाएगा कि किस मोहल्ले में कितने मकान बने हुए हैं। इनमें कितने सफाई कर्मचारियों की जरूरत होगी। इसी के आधार पर कर्मियों की तैनाती की जाएगी। इसके अलावा कार्यदायी संस्था के माध्यम से मनमाने तरीके से कर्मियों को रखने के खेल पर भी काफी हद तक रोक लगेगी।