Saturday, February 1

ऐसी चर्चाओं से ही हो सकता है समस्याओं का समाधान

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शहर के कुछ क्षेत्रों के प्रमुख नागरिकों ने वर्तमान परिस्थितियों में जनता की समस्याओं के समाधान हेतु जनहित के बारे में क्या क्या किया जा सकता है क्या क्या होना चाहिए उस पर विस्तार से चर्चा की।
एलेक्जेंडर क्लब में अचानक गत दिवस जुटें नागरिकों में मुख्य वरिष्ठ अधिवक्ता स्वतंत्र पत्रकार डॉ संजय गुप्ता, वरिष्ठ राजनेता चौधरी यशपाल सिंह, पत्रकार संपादक रवि कुमार बिश्नोई, राजनेता मुकेश जैन, वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र शर्मा, प्रदीप वत्स, भाजपा युवा मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पूर्व सदस्य अंकित चौधरी, विनोद सोनकर, सोशल मीडिया एसोसिएशन के राष्ट्रीय महामंत्री अंकित बिश्नोई आदि विशेष रूप से मौजूद रहे।
शहर की कानून ट्रैफिक सफाई अनियमित बिजली सप्लाई मीडिया आदि विषयों के साथ ही स्वर्गीय डॉ मैराजुद्दीन की उपलब्धियां चर्चा का विषय रही।
लगभग आस्मिक रूप से शुरू होकर दो घंटे चली चर्चा को लेकर कोई तैयारी किसी के पास नहीं थी इसलिए इसका पूर्ण समाधान कैसे हो यह तो तय नहीं हो पाया मगर एक बात जरूर समझ आई कि जन समस्याओं का समाधान सिर्फ सरकार को जिम्मेदार ठहराकर या जनप्रतिनिधियों पर कुछ काम न करने का आरोप लगाकर होने वाला नहीं लगता है। अब सवाल उठता है कि तो फिर कैसे होगा मुझे जो लगता है वो यह है कि सरकार भी जनहित के कामों को पूरा कराने और मतदाताओं की हर समस्याओं का समाधान हो उसके लिए बजट दिशा निर्देश और सहयोगियों अधिकारी व कर्मचारियों की तैनाती भी कर रही है। और ऐसा नहीं है कि सभी सरकारी अधिकारी व कर्मचारी अपना काम न कर रहे हो। तो फिर सवाल उठता है कि फिर वो कौन से कारण है कि जो कम होने की बजाए सुरसा के मुुंह की भांति आम आदमी की परेशानियों में बढ़ावा ही होता जा रहा है। और कभी वाहन चालान के नाम पर कभी समय से भुगतान न करने पर जुर्माना आदि बिन्दुओं को लेकर आर्थिक उत्पीड़न भी हो रहा है। हो सकता है कि मैं गलत हूं मगर जितना मुझे लगता है कि इसके लिए हम ही जिम्मेदार है। क्योंकि यहां एक प्रचलित किदवंति भगत सिंह तो पैदा हो मगर मेरे यहां नहीं पड़ोसी के यहां हो के समान हम यह सोचते है कि जितनी भी परेशानी न हो जब कोई बोलेगा तो हमें भी राहत मिल जाएगी। लेकिन अब समय आ गया है कि हम सब चलता है सरकार सही कर देगी डीएम साहाब या एसएसपी सुधार कर देंगे इस सोच से बाहर निकलकर अपनी समस्याऐं व परेशानी गांधीवादी तरीके से सक्षम राजनेताओं और जनप्रतिनिधियों के सामन उठाना शुरू करे तभी हमें हर कठिनाई से छुटकारा मिलने की उम्मीद बढ़ सकती है। क्योंकि दोस्तों सब जानते है बिना रोये तो मां भी दूध नहीं पिलाती और बिना रोटी खाये भूख नहीं मिटती। जब तक दवाई नहीं खायेंगे बिमारी ठीक नहीं होगी उसी प्रकार से जब तक हम खुद सक्षम व्यक्तियों के समक्ष अपनी बात नहीं कहेंगे तब तक सभी समस्याओं का समाधान आसानी से होने वाला नहीं है। आज हमारे पास अपनी बात प्रधानमंत्री तक पहुंचाने का माध्यम सोशल मीडिया है इस पर बिना कुछ ज्यादा खर्च किये हम अपनी बात अपने सांसद मंत्रियों राजनीतिक दलों के अध्यक्षों बड़े नेताओं सक्रिय युवाओं व डीएम एसएसपी साहब सहित अफसरों तक इस माध्यम का उपयोग कर बिना कहीं जाए और कागज खर्च या ज्यादा पैसा खर्च किये सामने वाले को अवगत करा सकते हैं। मैं यह तो नहीं कहता कि हर कष्ट से निजात मिलेगी लेकिन यह जरूर कह सकता हूं कि बीते दिनों एलेक्जेंडर क्लब में जो चर्चा हुई ऐसी निस्वार्थ चर्चाओं से प्रेरित होकर अगर हम अपनी बात कहने में मुखर होगे तो हर परिस्थिति में हमारी बात सुनी भी जाएगी और समाधान भी होगा लेकिन इसके लिए हमें खुद सक्रिय होना होगा। ऐसा नहीं चलेगा कि हम सोचते ही रहे और दूसरे काम करे। मैं यह बात इसलिए भी कह रहा हूं कि पत्रकार जीवन के लगभग 50 साल में मैंने जो भी प्रयास करा और आवाज उठाई उसे पूर्ण कराने में काफी हद तक सफलता भी मिली। लेकिन जरूरी है कि सही प्रकार से समयअनुसार प्रयास हो। क्योंकि वर्तमान में लगता है कि सरकार भी चाहती है जो वायदे उसके द्वारा किये गये वो पूरे हो और जनता भयमुक्त वातावरण में चैन की सांस ले पारदर्शी वातावरण में उसके काम हो लेकिन उठना और प्रयास हमें ही करना होगा और इसके लिए ऐसी निवार्त चर्चाऐं भी जरूरी है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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