थाने की कमान मिलने के बाद अब मनमानी, सेटिंग का खेल और फरियादियों की सुनवाई से परहेज किया तो थानेदारों की खैर नहीं होगी। हर 15 दिन में काम की समीक्षा होगी और जनता के बीच पुलिस की छवि को लेकर पड़ताल की जाएगी। कमियां मिली तो बड़ी कार्रवाई होगी। थानेदारी तो छिनेगी ही, बैड एंट्री भी मिलेगी।
सीओ और एसपी स्तर के अधिकारी से दूसरे सर्किल में पड़ताल कराई जाएगी, जिससे सही रिपोर्ट मिल सके। एडीजी मेरठ प्रशांत कुमार ने जीरो टॉलरेंस और पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की नीति पुलिस विभाग में सख्ती से लागू करने के लिए व्यवस्था बनाई है। दरअसल, थाने का चार्ज मिलने के बाद थानेदार काम की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते।
इसके पीछे कारण ये है कि पुलिस अधिकारी लगातार निगरानी नहीं कर पाते हैं। देहात के थानों में न तो पुलिस, जनता की सुनवाई के लिए तैयार होती है और न ही कोई बड़ा गुडवर्क किया जाता है। अभी हाल ही में डीजीपी ने भी थानेदारों को हर छह माह में बदलने का निर्देश इसी कारण से दिया है। ऐसे में एडीजी ने अब जोन के सभी एसएसपी/ एसपी को एक पत्र भेजा है।