अलीगढ़ : महानगर की ऐतिहासिक ऊपरकोट स्थित जामा मस्जिद को लेकर नगर निगम द्वारा आरटीआई में दिया गया जवाब सुर्खियों में है। नगर निगम ने आरटीआई के जवाब में इसे सार्वजनिक संपत्ति के साथ-साथ शहर की ऐतिहासिक धरोहर बताया है। इसी तथ्य को लेकर सियासत तेज हो गई है। भाजपा नेता सार्वजनिक संपत्ति से जामा मस्जिद को हटाने की मांग कर रहे हैं। इसके जवाब में सपा नेता प्रशासन को ऐसे मुद्दों पर सख्त कदम उठाने की बात कह रहे हैं। इस मामले में नगर निगम बैकफुट की स्थिति में है।
जामा मस्जिद को लेकर सियासत तेज होने की शुरुआत आरटीआई एक्टिविस्ट पंडित केशव देव शर्मा को नगर निगम की ओर से दिए गए जवाब से हुई है। निगम ने जवाब में कहा है कि ऊपरकोट पर 300 साल पहले जामा मस्जिद का निर्माण सार्वजनिक जगह पर हुआ था। यह मस्जिद ऐतिहासिक धरोहर है, जिसमें इस मस्जिद का मालिकाना हक भी किसी का नहीं दर्शाया गया है। आरटीआई का जवाब मिलने के बाद केशव देव ने मस्जिद को अवैध बताते हुए तत्काल तोड़ने के लिए डीएम को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि मस्जिद नहीं तोड़ी गई तो वह कोर्ट की शरण लेंगे। जामा मस्जिद का निर्माण वर्ष 1724 में कोल तहसील के गवर्नर रहे साबित खान ने शुरू कराया था जो कि वर्ष 1728 में बनकर तैयार हो गई थी।
जो अवैध है, उसे टूटना चाहिए : शकुंतला
भाजपा नेता एवं पूर्व महापौर शकुंतला भारती ने कहा कि जामा मस्जिद को लेकर नगर निगम द्वारा दिए गए आरटीआई के जवाब में मस्जिद को अवैध ठहराया गया है। इसलिए जो अवैध है उसे टूटना चाहिए। चाहे मस्जिद हो या कुछ और। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर यहां भी चलेगा। बुलडोजर लगातार अवैध निर्माण को ढहा रहा है। उन्होंने कहा कि आरटीआई के आधार पर जामा मस्जिद को लेकर जो सच्चाई है उसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखेंगी और सभी वस्तुस्थिति से अवगत कराएंगी।