मेरठ 29 अगस्त (प्र)। वर्ष 2015 में एक प्राइवेट फर्म द्वारा नगर निगम में संविदा सफाई कर्मचारियों की भर्ती की गई। भर्ती के बाद 2017 तक फर्म निगम से तो पैसा लेती रही, लेकिन न तो प्रोविडेंट फंड (पीएफ) जमा किया और न ही कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआइ) का लाभ दिया। जांच हुई तो नगर निगम ने प्राइवेट फर्म की करीब तीन करोड़ रुपये की आरसी ( वसूली पत्र) काट दी। मगर बाद में इसे रफा-दफा कर दिया गया। कमिश्नर के आदेश पर प्रोविडेंट फंड के असिस्टेंट कमिश्नर नितिन उत्तम ने जांच की तो घोटाला सामने आया। अब असिस्टेंट कमिश्नर ने सात करोड़ 55 लाख रुपये की आरसी काटकर रिकवरी के लिए प्रोविडेंट फंड विभाग की ही एक टीम का गठन किया है।
कंकरखेड़ा के नटेशपुरम में स्थित अलकनंदा एसोसिएट नाम की फर्म को नगर निगम की तरफ से संविदा पर भर्ती के लिए टेंडर दिया गया। फर्म ने 2,215 संविदा सफाई कर्मचारियों को भर्ती कर लिया। नगर निगम ने फर्म को पीएफ- ईएसआइ समेत कर्मचारियों का वेतन दिया। फर्म कर्मचारियों को वेतन तो देती रही, लेकिन प्रोविडेंट फंड में कुछ भी जमा नहीं किया और न ही ईएसआइ का लाभ दिया। इस प्रकरण में सहयोगी सेवा समिति संगठन के सचिव एवं सामाजिक कार्यकर्ता विनोद कुमार ने 10 अप्रैल 2018 को तत्कालीन कमिश्नर डा. प्रभात कुमार से शिकायत की थी। जिसके बाद कमिश्नर ने मामले की जांच के आदेश प्रोविडेंट फंड के असिस्टेंट कमिश्नर नितिन उत्तम को सौंप दी। जांच पूरी होने के बाद अब असिस्टेंट कमिश्नर ने 7.55 करोड़ रुपये की आरसी काट दी। साथ ही प्रोविडेंट फंड विभाग की रिकवरी के लिए एक टीम बना दी, जिसका नोडल अधिकारी एक इंस्पेक्टर को बनाया है। शिकायतकर्ता विनोद कुमार का कहना है कि उनकी शिकायत पर नगर निगम ने जांच की। इसमें सामने आया था कि प्राइवेट फर्म ने लगभग तीन करोड़ रुपये का घपला किया है। जिसके बाद नगर निगम ने भी तीन करोड़ रुपये की आरसी काटकर तहसील को भेजी थी, लेकिन आज तक रिकवरी नहीं हुई ।
अलकनंदा एसोसिएट के मालिक अक्षेन्द्र भानू का कहना है कि यह सही बात है कि हमारी फर्म ने टेंडर लेकर कर्मचारियों को भर्ती किया था। नगर निगम ने हमें शुरू से लेकर आखिरी तक पीएफ और ईएसआइ का कोई पैसा नहीं दिया । इसलिए असिस्टेंट कमिश्नर ने नगर निगम को भी पार्टी बनाया है। अब हमारी फर्म ब्लैक लिस्ट है, इसलिए हमारे पास कोई भी टेंडर नहीं है।
असिस्टेंट कमिश्नर प्रोविडेंट फंड विभाग नितिन उत्तम के अनुसार तत्कालीन कमिश्नर डा. प्रभात कुमार के आदेश पर जांच की। जांच के अनुसार, प्राइवेट फर्म ने 7.55 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। जिसकी आरसी काटकर एक कापी प्राइवेट फर्म और दूसरी कापी नगर निगम को भेज दी है। जल्द ही रिकवरी कर ली जाएगी।