स्वच्छता संकल्प संवाद कार्यक्रम में मेरठ कैंट स्मार्ट बनने पर सबने एक दूसरे की प्रशंसा की। ऐसी उपलब्धि मिले तो उसके लिये प्रत्यनशील लोगों की सराहना और प्रशंसा होनी चाहिये लेकिन इससे संबंध समाचार अखबारों में पढ़कर कैंट के नागरिक एक दूसरे से पूछ रहे है कि भैया कहां बना है स्मार्ट कैंट। जो लोग प्रश्ंासा व्यक्त कर रहे हैं हो सकता है उनकी निगाह में माल रोड या कुछ वीआईपी क्षेत्र ही कैंट की श्रेणी में आता हों लेकिन आम आदमी जिन आठ वार्डाें में रहता है उनमे सफाई सड़कों में सुधार स्वच्छ पानी की सप्लाई अवैध निर्माणों पर रोक अतिक्रमण मुक्त सड़कें कहीं नजर नहीं आ रही हैं। कुछ लोगों का कहना है कि क्योंकि अधिकारी जो भी ठीक बात बोलने की हिम्मत करता है उसके खिलाफ कोई न कोई अभियान छेड़ने का प्रयास करते हैं वरना उनके सहयोगी धमकाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। रही बात हमारे जन प्रतिनिधियों की उनमे से तो कुछ को छोड़कर बिल्कुल हर मामले में चुप्पी साध रखी है। जिस कारण कुछ लोग स्मार्ट कैंट हो जाने की बात से खुश हो रहे हैं जबकि कैंट बोर्ड आॅफिस से निकलकर चारो ओर निगाह दौड़ाइ जाए तो जो स्मार्ट कैंट के लिये होना चाहिये वो कहीं नजर नहीं आता। हां वो बाद दूसरी है कि कैंट कार्यालय पर आम आदमी के प्रवेश पर प्रतिबंध स्मार्ट सिटी का प्रतीक हो उनकी निगाह में तो वो बात और है या हनुमान चैक के दोनों ओर क्षतिग्रस्त सड़क को स्मार्ट कैंट मानते हो अथवा नालों में फैली गंदगी और चारो ओर लगे गंदगी के ढेर जो समय से उठ नहीं पाते या फिर जनता में चर्चा के अनुसार पैकेज पर कराए जा रहे अवैध निर्माण को हम स्मार्ट कैंट मानते हो तो वाकई में स्मार्ट कैंट हो गया है। कैंट के छोटे छोटे गलियों और बाजारों में रहने वाले नागरिकों का कैंट को स्मार्ट बताने वाले नागरिकों से यह पूछना है कि क्या वो अपनी भव्य कोठी को छोड़कर इन गलियों में आकर रहने और स्मार्ट कैंट में मौजूद सुविधाओं को भुगतान पसंद करेंगे अगर नहीं तो कुछ ऐसी कमरों में होने वाली बैठकों में होने वाली दावतों के बीच वो जबरदस्ती अपना नाम चमकाने और चेहरा अखबरों में दिखाने के लिये इन गरीबों का मकान स्मार्ट कैंट के निवासी के रूप में उड़ाना बंद किया जाए।
भैया कहां है स्मार्ट कैंट?
loading...