मेरठ 10 सितंबर (प्र)।महंगाई से हर व्यक्ति कम या ज्यादा बुरी तरह त्रस्त है। पूरी सरकार चाहे केन्द्र की हो या प्रदेश की बढ़ती महंगाई को रोकने हेतु भरपूर प्रयास कर रही है। तथा इसके लिए कई सख्त नियम भी बनाये गये है जिसके तहत मुनाफाखोरों के विरूद्ध कार्रवाई भी तय की जाती है।मगर पता नहीं क्यों जिम्मेदार अधिकारी इस संदर्भ में प्रयास करने की बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठे है। एक मौखिक जानकारी अनुसार बताया जा रहा है कि सीबीएसई आईसीएसई और यूपी बोर्ड आदि के द्वारा संचालित बड़े स्कूलों में महंगाई की हालत यह है कि बच्चों को 15 रूपये की चीज 20 रूपये में बेची जा रही है। और इसकी शुद्धता व गुणवत्ता बताते है कि परखने की जरूरत कैंटीन संचालक स्कूल प्रधानाचार्य या मैनेजमेंट कमेटियां तैयार नहीं नजर आती।
मजे की बात यह है कि मोटी फीस और खर्च कर बड़े लोगों के बच्चे जिन स्कूलों में पढ़ते है वहां भी बच्चों को स्वच्छता के लिए निर्धारित नियमों का पालन नहीं हो रहा है। आश्चर्य इस बात का है कि पेटीज फ्रूटी सेडविज आदि खुले बाजार में मिलने वाली कीमत से पांच रूपये मंहगा बेचा जा रहा है। अगर बाजार के हिसाब से देखे तो ये सब चीजे सस्ती मिलती है तो इसलिए प्रॉफिट और भी बढ़ जाता है। अब इसमें कितनी सत्यता है यह तो जांच का विषय है। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि अगर खाद्यय सुरक्षा टीम बिना बताये सुबह के समय हाफ डे से पहले स्कूल में छापे मारे तो स्कूलों में मौजूद कैटीनों की असलियता खुलकर सामने आ सकती है। क्योंकि ना तो इनमें सही प्रकार से सामान रखने की व्यवस्था होती है और ना ही कैंटीन संचालक स्वच्छता का ध्यान रखते है। यहां बच्चों को परोसी जाने वाली सॉस आदि की भी जांच होनी चाहिए। कुछ लोगों का मौखिक रूप से कहना है कि प्रशासन और शासन प्रदेशभर में अभियान चलाकर बड़े स्कूलों में कराये छापेमारी मेरठ में सोफिया सेंट मेरी दिवान आदि स्कूलों को भी इस दायरे में लिया जा सकता है।