Wednesday, March 12

फर्जी बीमा पॉलिसी बनाकर 15 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी, चार आरोपी गिरफ्तार

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गाजियाबाद 12 मार्च। फर्जी बीमा पॉलिसी बनाकर करीब 15 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में गाजियाबाद की साइबर अपराध थाना पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया। एक आरोपी फरार है। इनमें से दो इंश्योरेंस कंपनी में एजेंट थे। आरोपियों ने थर्ड पार्टी बीमा करने के दौरान ट्रक की जगह दोपहिया वाहन की डिटेल भरकर फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी की।
गिरोह ने पूरे देश में 12 हजार से ज्यादा पॉलिसी के जरिए करोड़ों रुपये का फ्रॉड किया। इसमें गाजियाबाद के 61 वाहन भी हैं। कंपनी को कोर्ट से क्लेम नोटिस पहुंचा तो फर्जीवाड़े व धोखाधड़ी का पता चला।

एडीसीपी अपराध पीयूष सिंह ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों की पहचान रिछपाल पुरी निवासी विकास कश्यप, आकाश सिसौदिया, मुरादाबाद निवासी याकूब और आरिम अली के रूप में हुई। आकाश मूलरूप से धौलाना का रहने वाला है। विकास नौवीं तक, आकाश 12वीं तक, याकूब नौवीं तक और आरिम ने बीफार्मा की पढ़ाई की है। एक आरोपी रोहित फरार है, उसकी तलाश की जा रही है।

आकाश इस गिरोह का मास्टरमाइंड है। रोहित आकाश का भाई है। पूछताछ में विकास ने बताया कि वह और रोहित इश्योरेंस कंपनी में एजेंट थे। थर्ड पार्टी बीमा वाहन स्वामी चालान की कार्रवाई से बचने के लिए कराते हैं। ऐसे में वाहन स्वामी को केवल इंश्योरेंस होने से मतलब होता था। वह ज्यादा जानकारी नहीं देखते थे। इंश्योरेंस कंपनी ने उनका एजेंट आईडी बनाया हुआ था। इस पर पॉलिसी करने के दौरान वे ट्रक का पंजीकरण नंबर डालकर बाकी जानकारी दोपहिया वाहन की भरते थे। इससे प्रीमियम काफी कम आता था। पोर्टल पर बीमा अपलोड होने के बाद वह वाहन स्वामी को सही जानकारी भरी डिटेल की फर्जी कॉपी दे देते थे। एडीसीपी ने बताया मामले में करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी होने की बात सामने आई है।

किसी पॉलिसी में क्लेम के लिए जब मामला कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने क्लेम के लिए कंपनी को नोटिस भेजा। कंपनी ने रिकॉर्ड चेक किया तो पाया कि ट्रक की जगह उनके रिकॉर्ड में बाइक की पॉलिसी है। कंपनी ने एजेंट की आईडी खंगाली तो इसका खुलासा हुआ।

एजेंट से सीखा था तरीका
आकाश पूरे गिरोह का मास्टरमाइंड है। उसने किसी एजेंट से इंश्योरेंस की बारीकियां सीखीं और अपना गिरोह बनाकर करोड़ों रुपये का घोटाला किया। आकाश ने पहले अपने भाई रोहित और दोस्त विकास को कंपनी में एजेंट बनवाया। इसके बाद उनकी आईडी से यह फर्जीवाड़ा करने लगा। आरटीओ कार्यालय के पास एजेंटों से पुराने वाहनों की डिटेल लेकर उन्हें डिस्काउंट ऑफर देकर झांसे में लेते थे। याकूब और आरिम फर्जी पॉलिसी बनाने में इनकी मदद करते थे। इनसे चार मोबाइल फोन मिले।

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