केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा सुरक्षा एजेंसियांे से कहा गया है कि ऐसा साझा दृष्टिकोण अपनाए जिससे कोई नया आतंकी संगठन पनप नहीं पाए। उन्होंने कहा कि आतंक पर कठोरता से प्रहार कर पूरा ढांचा नष्ट कर दें। नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय आतंक विरोधी कांफ्रेंस की शुरूआत में गृहमंत्री अमित शाह ने मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमें आतंकियों के पूरे इको सिस्टम को नष्ट करना होगा। इसके लिए आतंक निरोधक एजेंसियों को ऐसा कठोर रूख अपनाना होगा कि देश में नए आतंकी संगठन न पनप पाए।
केंद्र हो या प्रदेश हर सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वो अपने नागरिकों को शांतिपूर्ण तरीके से रहने के लिए भयमुक्त वातावरण उपलब्ध कराए भले ही इसके लिए उसे कितना ही प्रयास करना पड़े। इस दृष्टि से अगर देखें तो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का नजरिया पूरी तौर पर सही है।
मगर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी को आतंकवादी संगठनों और उनके सदस्यों के साथ साथ उन लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई के लिए ढांचा तैयार करना होगा जो समाज की मुख्यधारा में रहते हुए आम नागरिकों को उत्पीड़न करते हुए उनका जीना हराम कर देते हैं। क्येांकि बीते दिवस झांसी के निकट ट्रेन के एसी कोच मे यात्रा कर रहे बुजुर्ग विज्ञानी दंपित डॉ जीएन खरे और उनकी पत्नी पर सहयात्री युवक ने पेशाब कर दिया। बताते चलें कि उप्र संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के रूकने पर 21 वर्षीय हितेश के खिलाफ कार्रवाई के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी जबकि रेल मंत्री और सरकार सुरक्षा के बड़े बड़े दावे कर रही है। दूसरी तरफ ग्रेटर नोएडा में एक दलित छात्र द्वारा पुलिसकर्मियों पर मारपीट करने और यूरिन पिलाने का आरोप लगाया गया । वो बात और है कि शिकायत पर लखनऊ से आदेश आने पर अनिल राजपूत, देवेंद्र राठी समेत छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हो गई। मगर सवाल उठता है कि कभी रेल में कभी बस में और कभी हवाई यात्रा के दौरान इस प्रकार की घटनाएं करने अथवा पुलिसकर्मियों द्वारा जिस प्रकार से नागरिकों को फंसाने के लिए की गई कार्रवाई जो पिछले दिनों प्रकाश में आई अगर ध्यान से देखें तो वो भी किसी आतंकी गतिविधि से कम नहीं है क्येांकि पीड़ित के साथ साथ अन्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए गृहमंत्री जी खुले रूप में आतंकियों और उनके संगठनों पर जो कार्रवाई की बात आप कर रहे हैं उनके साथ ही समाज के निरंकुश और उदंड आतंकवादियों के खिलाफ भी देशहित में कार्रवाई अनिवार्य रूप से होनी चाहिए क्योंकि अगर अंदरूनी तौर पर गुंडे और असामाजिक तत्त्वों की कार्यप्रणाली पर रोक नहीं लगी तो लोग हंसना ही भूल जाएंगे। आज पूरा देश मुस्कान दिवस मना रहा है। ऐसे में जरूरी है कि हम हर वो काम करे जिससे हमारे देशवासी बच्चे हो या बूढ़े उनके होठो पर मुस्कान बनी रही। यह वक्त की सबसे बड़ी मांग कही जा सकती है।
हर नागरिक के चेहरे पर हो मुस्कान, मुख्यधारा में शामिल आतंकवादी रूपी असामाजिक तत्वों के विरूद्ध हो सख्त कार्रवाई
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