पीलीभीत 23 अक्टूबर। 170 रुपये के गबन में होमगार्ड के तत्कालीन कंपनी कमांडर अब्दुल नफीस, प्लाटून कमांडर चुन्नी लाल और ब्लाक आफिसर रोशन लाल को चार-चार वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई। सभी ने अनुपस्थित होमगार्ड सूरज की उपस्थिति दर्शाकर दो दिन का मानदेय जारी कर दिया था। 20 वर्ष पुराने इस प्रकरण में पूरनपुर थाने में प्राथमिकी लिखी गई थी।शनिवार को एसीजेएम प्रथम अमित यादव ने तीनों को दोषी पाते हुए सजा सुनाई। होमगार्ड सूरज का निधन हो चुका, जबकि तत्कालीन होमगार्ड अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।वर्ष 2023 में पूरनपुर की घुंघचाई पुलिस चौकी में होमगार्ड सूरज की तैनाती थी।
मुकदमे में उल्लेख किया गया कि वह 10 सितंबर को अनुपस्थित रहा, जिसकी सूचना थाने में दर्ज कर दी गई। वह 13 सितंबर को लौटकर आया, इसका उल्लेख भी तस्करा में किया गया था। पूरनपुर थाने से होमगार्ड के अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी गई कि सूरज 10 से 12 सितंबर तक बिना सूचना चौकी नहीं आया। उनकी तीन दिन की अनुपस्थिति थी मगर, प्लाटून कमांडर चुन्नी लाल ने मस्टररोल में सिर्फ 11 सितंबर यानी एक दिन दर्ज किया।
10 और 12 सितंबर को चौकी में उपस्थिति दर्शायी गई। जिसके बाद कंपनी कमांडर अब्दुल नफीस ने अपने हस्ताक्षर से मस्टररोल ब्लाक आफिसर रोशन लाल के पास भेजा। जिला कमांडेंट ने होमगार्ड सूरज के 29 कार्यदिवस का 2465 रुपये भुगतान कर दिया।
इस प्रकरण में पूरनपुर थाना पुलिस का कहना था कि अधिकारियों की मिलीभगत से होमगार्ड सूरज ने दो दिन का अतिरिक्त भुगतान लिया, जोकि सरकारी धनराशि का गबन है। इसके लिए कूट रचित कागत भी तैयार किए गए। 2015 में विवेचक धर्म सिंह ने होमगार्ड सूरज व तीनों अधिकारियों को दोषी मानते हुए चार्जशीट दाखिल की थी।