लखनऊ 02 नवंबर। मशहूर कवि अदम गोंडवी की कविता३तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है३राजस्व मामलों में सटीक बैठती है। मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद प्रदेश में राजस्व के 16.2 लाख मुकदमे अभी भी लंबित हैं। हालांकि रिकार्ड में दावा किया गया है कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद मुकदमों का निस्तारण का प्रतिशत 91.83 पर पहुंच गया है। ऐसा पहली बार हुआ। इसके बावजूद बड़ी संख्या में राजस्व के पुराने मुकदमों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है।
फरियादी तारीख लेकर लौट रहे हैं। सबसे तेज मुकदमों के निस्तारण में मुकदमों के निस्तारण में लखनऊ शीर्ष पर है। पैमाइश, बंटवारे, दाखिल खारिज जैसे मुकदमे भी लंबित हैं। यह आंकड़े एक दिन पहले मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की समीक्षा बैठक में रखे गए। लखनऊ मोहनलालगंज के पप्पू यादव के दाखिल खारिज के मुकदमे में 300 तारीखे लग चुकी हैं। तहसील के चक्कर लगाते-लगाते चप्पल घिस गई।
चिनहट के सिद्धेश्वर गुप्ता अपने घर का बंटवारा चाहते थे। कलेक्ट्रेट में बंटवारे का मुकदमा आठ साल तक चल। जमा पूंजी मुकदमे की पैरवी में खर्च हो गई। निर्णय तो नहीं हुआ उल्टे राजस्व कोर्ट ने मुकदमा ही खारिज कर दिया। ऐसे उदाहरणों की संख्या लाखों में है, जहां पिता ने मुकदमा दर्ज किया और बड़े हो कर बेटे अब राजस्व कोर्ट से तारीखें लेकर लौट रहे हैं। यूपी में कुल 2941 राजस्व अदालतें हैं जबकि लखनऊ में इनकी संख्या 50 से अधिक है।