भारतीय जनता पार्टी और उसके विभिन्न मोर्चा व प्रदेश अध्यक्षों तथा अन्य पदाधिकारियों की दिल्ली में चल रही दो दिवसीय बैठक के प्रथम दिन पीएम मोदी की अध्यक्षता में घोषणा की गई कि 2024 में 350 से अधिक सीटों पर चुनाव जीतने के लिए प्रयास करने का संकल्प लिया गया। एक खबर के अनुसार भाजपा के निशाने पर इस बार 158 वो सीटें रहेगी जिन पर कभी उसके उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाए।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अनेक कठिनाईयां व परेशानियां होने के बावजूद मतदाता का रूझान पीएम नरेन्द्र मोदी के प्रति काफी साकारात्मक है इसलिए बहती गंगा में हाथ धोने वाली ग्रामीण कहावत के समान ज्यादातर भाजपा नेता इस बार टिकट प्राप्त करने और चुनाव लड़ने के लिए भरपूर कोशिश करने के साथ ही माहौल बना रहे है।
और इस चक्कर में वो ये भी भूल रहे है कि जहां से टिकट प्राप्त करने की इच्छा रखी जा रही है वहां से सांसद जो वर्तमान में है वो कांग्रेस की लहर में भी पहली बार और दो बार भाजपा की लहर में चुनाव जीत चुका है और उसका चरित्र भी साफ सुथरा और छवि भी बेदाग है तो उसका टिकट कटकर दूसरे को कैसे मिल सकता है। लेकिन लोकतंत्र के सिरमौर अपने देश में हर किसी को बोलने सोचने और मांगने और देने का अधिकार प्राप्त है। इसलिए इसको गलत नहीं कहा जा सकता। लेकिन हम अगर बात यूपी के ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अपने मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट से सीधे सीधे तो अभी तक किसी के द्वारा टिकट की मांग नहीं की गई है मगर इशारो इशारो में कोई जन्मदिन के बहाने तो कोई राम मंदिर समारोह के नाम पर अपनी दावेदारी जरूर कर रहा है और कुछ लोग करा रहे है। आज संजीव गोयल सिक्का राज्यमंत्री सभापति उपभोक्ता सहकारी संघ के द्वारा एक प्रातः कालीन समाचार पत्र में फुल पृष्ठ के छपवाये गये विज्ञापन में पहले तो जनपद में मौजूद तीन राज्यसभा सदस्य डा0 लक्ष्मीकांत वाजपेयी जो पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी है ठाकुर विजय पाल सिंह कांता कर्दम और तीन बार के सांसद राजेन्द्र अग्रवाल सहित किसी भी विधायक और विधानपरिषद सदस्य की फोटो या नाम नहीं छपवाया गया। विज्ञापन में लिखा मेरठ हापुड़ लोकसभा दस मिशन 2024 इसे पढ़कर आम मतदाताओं में ही नहीं भाजपा के कार्यकर्ताओं में भी सुगबुहाट महसूस की गई कि क्या विनीत शारदा अग्रवाल के बाद अब संजीव सिक्का भी अपनी इस लोकसभा क्षेत्र से दावेदारी करने की तैयारी कर है। इस पर एक अच्छा जनसंपर्क रखने वाले नेता की ये बात बिल्कुल सही लगी कि टिकट मांगना सबका अधिकार है उसे वोट कितने मिलेगे ये जांचकर निर्णय लेना पार्टी का अधिकार है। और ये पक्का है कि आसानी से राजेन्द्र अग्रवाल जी का टिकट कटना संभव नहीं है। क्योकि ऐसे दो चार व्यक्ति जो व्यक्तिगत कारणों से उनसे नाराज हो उनके अलावा कोई उनकी बुराई नहीं करता। अर आरोप तो उन पर है ही नहीं। और टिकट देने वाले क्षेत्र में सक्रिय नेताओं में उनकी पकड़ बड़ी मजबूत है तो संभावित उम्मीदवार के रूप में चर्चा कराने में कोई बुराई नहीं है। मगर टिकट प्राप्त होने और चुनाव लड़ने का ख्वाब तो राजेन्द्र अग्रवाल के अलावा किसी और का आसानी से पूरा होने वाला नहीं लगता है। क्योंकि ये भाजपा है यहां पीएम मोदी की सलाह से कब कौन क्या निर्णय ले और क्या फेसला हो जाए इससे तो इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन टिकट देने के लिए नेता की छवि और ख्याति पर हर पार्टी विचार करती है क्योकि मतदाता का समर्थन उसी के आधार पर मिलता है। और यह कहने में कोई हर्ज नहीं महसूस करता हूं कल क्या होगा ये तो भगवान जाने लेकिन आज की तारीख में राजेन्द्र अग्रवाल के पास भरपूर समर्थन और पार्टी नेताओं का आशीर्वाद और सहयोगियों की शुभकामनाऐं पूरी तौर पर साथ है।
इस विज्ञापन को पढ़कर कई सक्रिय नागरिकों का मानना था कि ऐसे विज्ञापनों से नेताओं में गुटबंदी बढ़ने की संभावनाऐं भी बलबती हो जाती है।
चर्चा रही सिक्का जी के विज्ञापन का अर्थ क्या है! भाजपा कार्यकर्ताओं का मत लोकसभा टिकट प्राप्त करने के मामले में राजेन्द्र अग्रवाल के सामने टिक पाना मुश्किल है
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