Thursday, November 21

सीएए का विरोध क्यों, विपक्ष तथ्यों के आधार पर अपनी बात रख लोकतंत्र के महायज्ञ चुनाव को कराए पूर्ण

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देश में सीएए लागू करने की जब भी बात चलती है हमेशा इसका विरोध और समर्थन में आवाज उठने लगती हैं और कानून व्यवस्था व शांति की बात को दृष्टिगत रख तथा कुछ राजनीतिक कारणों से इसे लागू करने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा था। लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा इसे लागू करने की जो हिम्मत दिखाई गई वो काबिले तारीफ है।
वैसे तो जब नया नियम और कानून बनता है अथवा योजना शुरू होती है तो उसे लागू करने और नागरिकों को उसका लाभ पहुंचाने हेतु काफी बड़ी लिखत पढ़त और कार्रवाई की जाती है। इसलिए इसकी कोई बहुत ज्यादा जानकारी तो नहीं है मगर जितना समाचार पत्रों में नेताओं के बयान और खबरें पढ़ने को मिल रही हैं उससे यह लगता है कि कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं को यह शक है कि इसके लागू होने से उनका वोट बैंक कम हो सकता है। जहां तक सत्ताधारी दल की बात है तो उसने तो इसे लागू ही किया है। तो इसके फायदा नुकसान से सत्ताधारी दल के नेता कार्यकर्ता अनभिज्ञ नहीं होंगे।
एक खबर से पता चलता है कि अफगानिस्तान बांग्लादेश पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत आने वाले गैर मुस्लिमों के लिए आवेदन की योग्यता अवधि 11 से कम कर पांच साल कर दी गई। जिससे इन्हें वो अधिकार दिए जा सके जिनके दम पर यह अपनी रोजी रोटी और परिवार चला सके। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का कहना है कि पीएम मोदी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के जरिए हिंदू बौद्ध सिख और जैन शरणार्थियों को नागरिकता देकर सम्मानित किया है। इसको लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी व एआईएमआईएम अध्यक्ष औवेशी झूठ बोल रहे हैं कि देश के अल्पसंख्यक इसके लागू होने पर अपनी नागरिकता खो देंगे। सीएए में किसी की नागरिकता छीनने का प्रावधान नहीं है।
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को सीएए के नियमों की कानूनी वैद्यता पर संदेह है। अगर ऐसा है तो वो अपने यहां विद्वानों की एक कमेटी बनाकर इस बारे में ज्ञान प्राप्त करें और अगर गलत लगता है तो सबूतों के साथ अदालत जाए। लेकिन सिर्फ हवा में विरोध का कोई मतलब नजर नहीं आता है। वो भी जब केंद्र सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि सीएए से भारतीय मुसलमानों को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की यह बात बिल्कुल दमदार है कि किसी को भी आवेदन नहीं करने पर नागरिकता मिली तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। इससे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि सीएए कानून के तहत पात्र व्यक्ति भी जब तक आवेदन नहीं करेंगे तब तक किसी को भी नागरिकता नहीं मिलेगी। दूसरी तरफ पाक हिंदू शरणार्थियों द्वारा इसे लेकर जश्न मनाया जा रहा है तो कई जगह केरल और आसाम में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। मुझे लगता है कि इस विषय पर विपक्ष के नेताओं को एक बार या तो पूरे विवरण का निरीक्षण इस बारे में करना चाहिए क्योंकि सिर्फ यह कह देने से कि सीएए गलत है किसी भी कार्य को रोका नहीं जा सकता। और 2024 के लोकसभा चुनाव तो होने ही हैं। अगर इस कानून को लाने का नुकसान है तो सत्ताधारी दल को होगा विपक्ष क्यों परेशान है। या विपक्ष को लगता है कि इसकी आड़ में उन लोगों के वोट भाजपा और उसके सहयोगी दलों को मिल जाएंगे जो इसकी पात्रता में आ रहे हैं तो मुझे लगता है कि विपक्षी नेताओं को इसका समर्थन करना चाहिए। ऐसा होने पर जो लाभ सत्ताधारी दल को मिलना है वो उन्हें मिल जाएगा। पूर्व फिल्म स्टार कमल हसन का कहना है कि केंद्र सरकार चुनाव से पहले सीएए के माध्यम से लोगों को विभाजित करने का काम कर रही है। दक्षिण भारतीय फिल्म अभिनेता विजय कह रहे हैं कि सीएए विभाजनकारी है। सरकार स्पष्ट करें कि तमिलनाडु में सीएए लागू नहीं होगा। महबूबा मुफती का मत है कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले के लंबित रहने के बावजूद सीएए को लागू करना सरकार की विफलताओं से जनता का ध्यान भटकाना है। ममता बनर्जी कह रही हैं कि यह नागरिकों के मौजूदा अधिकारों को छिनने का खेल है। इसका सीधा संबंध देश में एनआरसी को लागू करने से है। तमिलनाडु के सीएम स्टालिन मानते हैं कि कानून पूरी तरह अनुचित है। तमिलनाडु सरकार राज्य में सीएए लागू होने का कोई असर लागू नहीं होने देगी। पक्ष और विपक्ष खबरों के आधार पर तो अपनी जगह सही नजर आते हैं। लेकिन देश में सबको अदालत जाने का पूर्ण अधिकार है। भले ही पहले से यह मामला विचाराधीन हो। कुछ लोग फिर भी इसके विरोध में चाहे तो अपनी आावाज बुलंद कर सकते हैं। फिलहाल पूर्वोत्तर के आदिवासी क्षेत्रों जिन्हें संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा प्राप्त है। अरूणाचल प्रदेश नागालैंड मिजोरम मणिपुर में आईएलपी के तहत इन क्षेत्रों में यह नियम लागू नहीं होगा। सत्ताधारी दल का अपना मत है। एक खबर के अनुसार नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (सीएए) के तहत भारतीय नागरिकता पाने के इच्छुक आवेदक यह साबित करने के लिए वैध या कालातीत (एक्सपायर्ड) पासपोर्ट, पहचान पत्र, भू-रिकॉर्ड समेत नौ दस्तावेजों में कोई भी एक कागजात जमा कर सकते हैं कि वह अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान के नागरिक हैं।
सीएए नियमों के अनुसार, आवेदक यह साबित करने के लिए वीजा और भारत में आगमन पर आव्रजन मुहर सहित 20 दस्तावेजों में कोई एक सौंप सकते हैं कि वे 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में दाखिल हुए थे। इन दस्तावेजों में किसी ग्रामीण या शहरी निकाय के निर्वाचित सदस्य या किसी राजस्व अधिकारी द्वारा जारी संबंधित प्रमाणपत्र भी शामिल है। नियमों में यह भी कहा गया है कि आवेदकों को किसी स्थानीय प्रतिष्ठित सामुदायिक संगठन से जारी अर्हता प्रमाण पत्र भी देना होगा, जो इस बात की पुष्टि करे कि आवेदक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय में किसी एक का सदस्य है। अब भी उसी समुदाय में है। आवेदकों को इस बात की घोषणा करनी होगी कि वे अपनी वर्तमान नागरिकता का परित्याग करते हैं तथा वे भारत को अपना स्थायी निवास बनाना चाहते हैं।
स्वीकार्य होने वाले अन्य दस्तावेजों में अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान की सरकार या उन देशों के किसी अन्य सरकारी प्रशासनिक निकाय द्वारा जारी पहचान पत्र, कोई लाइसेंस या प्रमाणपत्र और अन्य कागजात शामिल हैं जो यह दर्शाते हों कि आवेदक के माता-पिता, दादी-दादी या नाना-नानी में कोई अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान के नागरिक हैं या नागरिक रहे थे।
अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान की सरकार या वहां के किसी सरकारी विभाग द्वारा जारी ऐसा दस्तावेज भी मान्य होगा, जो यह स्थापित करता हो कि आवेदक अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान से है। नियमों के अनुसार ये दस्तावेज उनकी वैधता अवधि बीत जाने के बाद भी मान्य होंगे।
कोई भी आवेदक अफगानिस्तान, पाकिस्तान या बांग्लादेश का नागरिक है, यह साबित करने के लिए वहां की सरकार द्वारा जारी ये दस्तावेज मान्य होंगे।
1. पासपोर्ट, 2. भारत में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय का प्रमाणपत्र
3. विदेशी पंजीकरण अधिकारी द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाणपत्र
4. आवास परमिट 5. जन्म प्रमाणपत्र, 6. स्कूल प्रमाणपत्र 7. शैक्षणिक
8. पहचान-पत्र 9. भू-रिकॉर्ड शामिल हैं।
बताते चलें कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम,2019 (सीएए) के तहत पात्र आवेदकों को भारतीय नागरिकता पूर्व प्रभाव से दी जाएगी जैसा कि इस कानून में उल्लेखित किया गया है।
सीएए लागू करने के लिए नियमों को अधिसूचित किए जाने के एक दिन बाद गृह मंत्रालय ने अधिनियम के तहत भारतीय नागरिकता पाने के पात्र लोगों के आवेदन करने के वास्ते एक पोर्टल शुरू किया। पोर्टल में नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6बी के तहत नागरिकता पाने के लिए आवेदन करने के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) के उत्तर दिए गए हैं।
सीएए के तहत किस तारीख से नागरिकता दी जाएगी, इस बारे में गृह मंत्रालय के पोर्टल पर कहा गया है, नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6बी के तहत रजिस्ट्रार न्यूट्रीलाइजेशन द्वारा नागरिकता प्रदत्त किए गए लोग भारत में प्रवेश करने की तारीख से इस देश के नागरिक माने जाएंगे। अधिकारी ने कहा, आवेदक के भारत में प्रवेश करने की तारीख सीएए के तहत भारतीय नागरिकता प्रदान करने की तारीख होगी।
कुल मिलाकर मुझे लगता है कि फिलहाल देश में लोकतंत्र के सबसे बड़े महायज्ञ लोकसभा चुनाव की शुरूआत होने वाली है। इसलिए पक्ष और विपक्ष के सभी नेताओं को नागरिकता ही नहीं किसी भी मुददे पर सरकार से अपने मतभेदों को भूलकर इस लोकतंत्र के सबसे बड़े महायज्ञ में अपनी आहूति देकर देश को मजबूत और अधिकारों को ताकत प्रदान करनी चाहिए। सीएए का विरोध बाद में भी किया जा सकता है।

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