आजादी के बाद से उत्तर प्रदेश द्वारा देश को अभी तक नौ प्रधानमंत्री दिए गए। और चर्चा है कि दसवां भी शायद यूपी से ही हो सकता है। होगा क्या यह तो चार जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ही पता चल पाएगा। मगर एक बात हमेशा कही सुनी जाती है कि देश के प्रधानमंत्री तक का रास्ता यूपी से होकर ही जाता है। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि पीएम के पद पर कहीं से भी चुना हुआ सांसद बैठे लेकिन आसानी से बिना यूपी के सांसदों के समर्थन के यह संभव नहीं हो पाता है। प्रदेश की न्यायिक राजधानी इलाहाबाद से लगी फूलपुर सीट से जीते जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बने तथा 1952 1957 और 1962 का लोकसभा चुनाव जीते थे और देश का पहला प्रधानमंत्री बनने का गौरव हासिल किया था। पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद लालबहादुर शास्त्री पीएम बने और 1957 व 1962 का लोकसभा चुनाव जीते। यूपी के बागपत से 1977 1984 तक तीन बार सांसद रहे चौधरी चरण सिंह भी प्रधानमंत्री बने तो लखनऊ सीट से जीते अटल बिहारी वाजपेयी ने भी प्रधानमंत्री के पद को पूरे सम्मान के साथ सुशोभित किया।
बताते हैं कि अटल जी लखनउ से पांच बार सांसद बने। तो वर्तमान में हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी वाराणसी से चुनाव लड़े और दो बार पीएम पद पर बैठे। जानकारों का कहना है कि वो इस पद पर आगे भी विराजमान हो सकते हैं । इसी प्रकार कांग्रेस से अलग होकर 1988 का इलाहाबाद लोकसभा चुनाव जीते वीपी सिंह भी पीएम बने तो जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे चंद्रशेखर को भी पीएम बनने का मौका मिला। इंदिरागांधी तो काफी समय तक प्रधानमंत्री रहीं और उन्होंने नारी शक्ति के रूप में नाम भी बहुत कमाया और काम भी बहुत किए। उनके निधन के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। और वर्तमान में पीएम के पद पर वाराणसी सीट से चुनाव लड़ रहे नरेंद्र मोदी विराजमान है। बताते चलें कि नेहरू परिवार के खुद नेहरू फिर इंदिरा और राजीव गांधी पीएम बने। चौधरी चरण सिंह और अन्य कई प्रधानमंत्री भी उन्हीं के समर्थन से इस पद तक पहुंचे। लेकिन पूर्वाचल से पांच मध्य यूपी से तीन और पश्चिमी यूपी से एक प्रधानमंत्री बना। पश्चिमी यूपी के यह सौभाग्य किसान नेता और भारत रत्न से सम्मानित चौधरी चरण सिंह को मिला। इंतजार कीजिए कि जून के पहले सप्ताह में इस पद पर नरेंद्र मोदी या कोई और।