मेरठ 15 जून (प्र)। छावनी परिषद की आम सभा में अनेक प्रस्ताव पारित किए गए। अनेक प्रस्तावों पर चर्चा की गई। बैठक में सीवर कनेक्शन न लेने वाले कैंटवासियों पर अब कार्रवाई की जाएगी। हर वार्ड में क्षेत्रवासियों से पांच रुपये प्रति किलो की दर से पॉलीथिन खरीदने पर चर्चा हुई। इसके लिए किस दर से खरीदारी की जाएगी, पहले इसके बाजार रेट लेने के आदेश अध्यक्ष ने दिए। बैठक में पांच स्थानों पर पार्किंग के ठेका 43 लाख में छोड़ने को बोर्ड ने हरी झंडी दे दी, जबकि मेट्रो हॉस्पिटल के पास पार्किंग का ठेका छोड़कर जाने वाले ठेकेदार से वसूली करने का निर्णय लिया।
छावनी परिषद के सभागार में ब्रिगेडियर निखिल देशपांडे की अध्यक्षता में आयोजित आम सभा में सबसे पहले पिछले वर्ष अरुण अग्रवाल के मामले में जेई अवधेश यादव पर लगाई गई पेनाल्टी माफ करने का आग्रह किया गया। सीईओ ज्योति कुमार ने कहा कि अवधेश दोष नहीं हुआ, तो कार्रवाई उचित नहीं है। इसपर बोर्ड ने सहमति जताई। बैठक में मनोनीत सदस्य सतीश शर्मा ने वार्ड-5 व छह लालकुर्ती व कई अन्य क्षेत्रों में सीवर कनेक्शन न दिए जाने का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि आठ करोड़ की लागत से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है, लेकिन मात्र 10-15 प्रतिशत घरों को सीवर कनेक्शन दिए गए।
गंदगी नालियों में बहाई जाती है। अध्यक्ष ने सीईओ को सभी क्षेत्रवासियों को सीवर कनेक्शन लेने के लिए नोटिस भेजने, लाउडस्पीकर ऐलान कराने के आदेश दिए। इसके बाद कनेक्शन न लेने वालों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए गए। ईओ ने कैंट क्षेत्र में सिंगल यूज पॉलीथिन की समस्या से निपटने के लिए सभी वार्ड में पॉलीथिन कलेक्शन सेंटर बनाकर वहां लोगों से पांच रुपये प्रति किलो की दर पर पॉलीथिन खरीदने का प्रस्ताव रखा। अध्यक्ष ने कहा कि पहले यह पता लगाया जाए कि बाजार में इसे किस दर पर बेचा जा सकता है। पेड़ों के पत्ते गिरने से फैलने वाली गंदगी से निपटने के लिए लीफ कलेक्टर सक्शन मशीन खरीदने का प्रस्ताव रखा गया।
कई स्थानों पर बिजली के ट्रांसफार्मर लगवाने को हरी झंडी दे दी गई। बैठक में पांच स्थानों पर पार्किंग के ठेका 43 लाख रुपये में दिए जाने को बोर्ड ने हरी झंडी दे दी। मेट्रो हॉस्पिटल के पास की पार्किंग के ठेकेदार द्वारा ठेका बीच में छोड़कर जाने को अध्यक्ष ने संज्ञान लिया और उसकी धरोहर राशि जब्त कर शेष राशि की वसूली करने के आदेश दिए। वसूली नहीं होती तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए। बोर्ड ने सेंट मैरीज एकेडमी में भवन बनाने के लिए एनओसी दिए जाने को पारित कर दिया गया। रंजीतपुरी के विक्की जैन मकान के चेंज आॅफ परपज का मामला उठाया गया। उसे नोटिस भेजने का निर्णय लिया। बैठक में नालों की सफाई कराने का निर्णय लिया। अध्यक्ष ने कूड़ा उठाने की सभी ट्रिपरों पर जीपीएस लगाने के आदेश दिए।
जो सफाईकर्मी अनुपस्थित रहते हैं, उनके वेतन की कटौती करने व उन्हें ड्यूटी पर आने के लिए प्रेरित करने को भी कहा। बैठक में आधारशिला स्कूल के सात कमरों में दो सीट वाली 75 बेंच खरीदने के लिए 4.70 लाख रुपये के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी। बैठक में दफ्तर के कार्यालय अधीक्षक को अब प्रशासनिक अधिकारी व अनुभाग अधीक्षकों को अब प्रधान सहायक, सीनियर क्लर्क को वरिष्ठ सहायक और क्लर्क को सहायक के लिए अनुमोदन किया गया। बैठक में ब्रिगेडियर निखिल देशपांडे, सीईओ ज्योति कुमार, राजस्व प्रधान सहायक राजेश जॉन और मनोनीत सदस्य डा. सतीश शर्मा, प्रशासनिक अधिकारी जयपाल सिंह आदि मौजूद रहे।
कैंट क्षेत्र की संपत्ति लेने से पूर्व एक बार फिर नगर निगम उक्त संपत्तियों का मिलान करने में जुट गया है। इसके लिए रोजाना नगर निगम के अधिकारी 10-15 प्वाइंट पर कैंट बोर्ड के अधिकारियों से जानकारी जुटाकर आॅनलाइन फीड कर रहे हैं। ऐेसे में कैंट बोर्ड का कार्य प्रभावित हो रहा है। कैंट क्षेत्र की लगभग 8500 एकड़ भूमि में से नगर निगम को सिविल एरिया की 436.69 एकड़ भूमि यानी करीब 17.64 लाख वर्ग मी. भूमि सौंपी जाएगी। इस भूमि पर करीब 41,078 आबादी है। इसके लिए कई माह से कवायद चल रही है। मार्च और अप्रैल में कई बैठकें दोनों विभागों के बीच हुर्इं। दोनों के बीच संपत्तियों के रिकॉर्ड का आदान प्रदान भी हो गया।
कैंट बोर्ड के अधिकारियों ने 349 पन्नों की रिपोर्ट में नगर निगम को सौंपी जाने वाली संपत्तियों का ब्योरा दिया। नगर निगम के अधिकारियों ने उक्त संपत्तियों का कैंट बोर्ड के रिकार्ड से मिलान भी किया। संपत्तियों का भौतिक सत्यापन भी किया गया। नगर निगम अब इस जानकारी को आॅनलाइन दर्ज कर रहा है। इसके लिए कैंट बोर्ड के रिकॉर्ड से पुन: मिलान कर जानकारी जुटाई जा रही है। नगर निगम के अधिकारी रोजाना 10-15 प्वाइंट पर चर्चा करके उन्हें आॅनलाइन फीड कर रहे हैं। रिकॉर्ड के मिलान की पूरी प्रक्रिया में कैंट बोर्ड के कई अधिकारी दिनभर जुटे रहते हैं। जिस गति से नगर निगम के अधिकारी कार्य कर रहे हैं, उससे नहीं लगता कि कई माह में संपत्तियों का हस्तांतरण होगा।