Saturday, July 27

अतिक्रमण को लेकर सत्संगियों और पुलिस विवाद , दोषी अफसरों के खिलाफ भी जनहित में होेनी चाहिए कार्रवाई

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अवैध निर्माण अतिक्रमण व जमीन घेरने वाले भूमाफियाओं का समर्थन कोई भी जिम्मेदार नागरिक आम आदमी के हित में ठीक नहीं कह सकता। चाहे इसके लिए व्यक्ति विशेष जिम्मेदार हो या कोई संगठन। कोई भी अवैध निर्माण व अतिक्रम तथा भूमि घेरने का काम एक दिन में नहीं होता है। महीनों लगते हैं फिर भी ऐसा हो जाता है तो यह बात कहने में कोई हर्ज नहीं है कि यह सब विकास प्राधिकरण और अन्य जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता। उदाहरण के रूप में ताजमहल के कारण विश्व प्रसिद्ध शहर आगरा में आजकल राधा स्वामी सत्संगियों और पुलिस के बीच अतिक्रमण हटाने को लेकर हो रहे संघर्ष को देखा जा सकता है। खबर के अनुसार शमशान घाट, सार्वजनिक रास्ते और खेल मैदान पर राधा स्वामी सत्संग सभा ने अतिक्रमण किया। जिसके लिए खेल मैदान के इंचार्ज, शमशान भूमि की देखभाल करने वाले लोग और नगर निगम व प्राधिकरण में रास्ता घेरने के लिए दोषी होने से बच नहीं सकते। लेकिन अपनी कमियां छिपाने और बवाल से बचने के लिए प्रशासन और पुलिस को आगे कर हमेशा की भांति यहां भी इन जिम्मेदार विभागों के अफसर ग्रामीण कहावत भूस में आग लगाए जमालो दूर खड़ी की भांति कार्य कर रही है। अभी तक अतिक्रमण हटाने के क्रम में 12 पुलिसकर्मी समेत 40 लोग घायल हो गए। खबर है कि सत्संगियों ने पहले तो बच्चों और महिलाओं को आगे कर हंगामा किया और फिर कील लगे डंडों से पुलिस पर हमला किया गया। कब्जा हटाने की प्रशासन की तीसरी बार भी कोशिश पूरी तौर पर सफल नहीं हो पाई। मामला सत्संगियों से जुड़ा होने के चलते प्रशासन ने देर रात बैठक कर इनको सात दिन का वक्त अतिक्रमण हटाने का दिया बताते हैं। कब्जा कब हटेगा कैसे हटेगा यह तो अलग बात है लेकिन सबसे बड़ा मुददा आगरा का ही नहीं पूरे प्रदेश मेें जब जब इस प्रकार के प्रकरण होते हैं। तब तब कानून व शांति व्यवस्था व जनसमस्याओं के महत्वपूर्ण काम को नजरअंदाज कर अतिक्रमण करने वालों से प्रशासन और पुलिस को भिड़ना पड़ताा है। करे कोई भरे कोई किवंदती के समान यहां भी वही सबकुछ हो रहा है। बताते हैं कि राधा स्वामी सत्संग सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को भूमाफिया घोषित करने की तैयारी चल रही है और यह किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। क्योंकि राधा स्वामी पूरे देश में सक्रिय हैं। इसलिए हर कार्रवाई का विरोध भी लगता है जरूर होगा। मेरा मानना है कि सत्संग सभा के अध्यक्ष गुरू प्रसाद सूद उपाध्यक्ष प्रेमप्रकाश श्रीवास्तव व अनु श्रीवास्तव आदि को आरोपी बनाने के साथ साथ प्रशासन और सरकार को आगरा विकास प्राधिकरण सहित संबंधित शमशान घाट और खेल मैदान तथा रास्ता रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को भी दोषी मानकर उनके विरूद्ध कार्रवाई की जाए तो शायद सत्संगियों द्वारा पुलिस कार्रवाई का विरोध पुरजोर रूप से नहीं किया जाएगा। ऐसा मेरा मानना है।
इस प्रकरण में सिटी मजिस्ट्रेट आगरा, आदि अफसर तथा बताते हैं कि मीडिया वालों को भी बक्शा नहीं गया। आगरा की मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी का कहना है कि इस क्षेत्र के राजस्व रिकॉर्ड की जांच तहसील स्तर से हुई थी। अब जांच एडीएम स्तर पर कराने के निर्देश दिए गए हैं लेकिन कानून व्यवस्था से किसी को खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा।
मेरा मानना है कि प्रदर्शनकारियों ने जो किया उसके लिए तो कार्रवाई पुलिस प्रशासन करेगा ही लेकिन भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बेशकीमती सरकारी भूमि को बचाने अवैध निर्माण ना होने देने के लिए दोषी अफसरों व कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। क्योंकि ऐसे प्रकरणों में अफसर और उनके सहयोगी हमेशा साफ बच जाते हैं इसलिए वो जब अतिक्रमण और अवैध निर्माण होते हैं तो शुरूआती दौर में कोई ठोस कार्रवाई नहीं करते सिवाय पत्रावली और पेशबंदी के। इसलिए ऐसी घटनाओं की पुनरावृति देखने को मिलती है और इनसे निपटने के चक्कर में आम आदमी के कार्य प्रभावित होते हैं। जो शासन का नुकसान प्रशासन और पुलिस के समय की बर्बादी ही कही जा सकती है।

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