मेरठ 19 जुलाई (प्र)। मेरठ में स्टांप घोटाले की खोज वर्ष 2023 से शुरू करके वर्ष 2015 तक जा पहुंची है। वर्ष 2020 से वर्ष 2015 के बीच भी पुराने और फर्जी स्टांप का प्रयोग कर कई करोड़ का घोटाला किया गया। इन पांच वर्ष की जांच में पहले चरण में लगभग एक महीने पहले 210 बैनामों में फर्जी स्टांप पकड़कर शासन से अनुमति ली गई और सभी के विरुद्ध स्टांप वाद दायर किया गया। दूसरे चरण की जांच में भी 300 से ज्यादा बैनामों में लगे भौतिक स्टांप पेपर का सत्यापन नहीं हो सका है। ये फर्जी स्टांप हैं। इनकी करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है। इनकी सूची बनाकर स्टांप वाद दायर की शासन से अनुमति लेने की तैयारी है। मेरठ में वर्ष 2023 में स्टांप घोटाले का राजफाश हुआ था। जिसमें वर्ष 2023 से 2020 तक के बैनामों की जांच करके 997 बैनामों में लगे भौतिक स्टांप पेपर फर्जी मिले थे। इनकी राशि करीब खड़े खत करोड़ थी। मुकदमा दर्ज किया गया। इसी बीच विधानसभा की प्राक्कलन समिति ने स्टांप घोटाले की जांच अवधि बढ़ाने का आदेश दिया।
समिति ने वर्ष 2020 से 2015 के बीच हुए बैनामों में प्रयोग किए गए भौतिक स्टांप पेपर का सत्यापन कराने का आदेश दिया। सत्यापन में 210 बैनामों में फर्जी स्टांप मिले। इनमें डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा राशि के स्टांप पेपर का सत्यापन नहीं हुआ। इन सभी के विरुद्ध शासन से अनुमति प्राप्त करके स्टांप चोरी के केस दर्ज किए गए हैं। सबसे पहले साढ़े सात करोड़ का स्टांप घोटाला सामने आया था। जांच की समयावधि का दायरा बढ़ा तो यह राशि 9 करोड़ तक पहुंची। अब नए 300 मामले सामने आने के बाद मेरठ में घोटाले की यह राशि 11 करोड़ पार कर चुकी है।
दूसरे चरण की जांच में अभी तक 300 से ज्यादा बैनामों में लगे भौतिक स्टांप पेपर का ट्रेजरी से सत्यापन नहीं हो सका है। इन स्टांप की राशि ढ़ाई करोड़ से ज्यादा है। जनपद के सभी छह सब रजिस्ट्रार द्वारा अपने अपने कार्यालय के बैनामों के स्टांप पेपर का सत्यापन ट्रेजरी से कराया गया। जिनका सत्यापन नहीं हुआ उन्हें एआइजी निबंधन और सहायक आयुक्त स्टांप के कार्यालय को उपलब्ध कराया है।
एआइजी निबंधन शर्मा नवीन कुमार एस का कहना है कि पांच साल के सत्यापन कार्य में नए मामले सामने आ रहे हैं। 210 मामलों में शासन से अनुमति लेकर स्टांप वाद दायर किए गए हैं। अब नए मामले मिले हैं। जिनकी सूची तैयार की जा रही है। जल्द इनके लिए भी शासन से अनुमति के लिए पत्र भेजा जाएगा ।
