Saturday, July 27

सरकार दे स्केटिंग खिलाड़ियों को बढ़ावा, जिलों में बनवाए प्रतियोगिता हेतु ट्रैक

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घर बैठे ग्रामीण युवा खिलाड़ियों को एक बार फिर मैदान में उतारने की तैयारी के तहत प्रदेश सरकार द्वारा युवा कल्याण व खेल विभाग के मिलकर काम करने तथा 35 वर्ष के खिलाड़ियों के कोच बनने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ ही कई प्रकार की सुविधाएं देने और खेल प्रतिभाओं को आगे लाने की घोषणा की गई है। खबर के अनुसार संसाधन व सुविधाओं के अभाव में घर बैठी ग्रामीण खेल प्रतिभाएं भी मैदान में अब फिर अपना करिश्मा दिखाएंगी। इसके लिए सभी जिला युवा एवं क्रीड़ा अधिकारियों को ऐसी प्रतिभाओं को तलाश कर मैदान तक लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन्हें सरकार वे सभी सुविधाएं देगी जो उनके खेल के लिए जरूरी होगी। ऐसे खिलाड़ियों को वरीयता दी जाएगी, जो तहसील, जिला व प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं, लेकिन नौकरी या सुविधा न मिलने की वजह से गांवों में रह रहे हैं।
सरकार का शहर के साथ ग्रामीण खेलों के विकास पर भी फोकस है। इसके लिए सभी ग्राम पंचायतों में खेल मैदान व स्टेडियम बनाए जा रहे हैं। ब्लॉक, तहसील व जिलास्तर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन करके ग्रामीण खिलाड़ियों को मौका दिया जा रहा है। इसी कड़ी में सरकार ने तय किया है कि नए के साथ उन पुराने खिलाड़ियों को भी मौका दिया जाए, जो अपने छात्र जीवन में विभिन्न स्तर की प्रतियोगिताएं खेल चुके हैं। पुराने व अनुभवी खिलाड़ियों के फिर से मैदान में उतरने से नए खिलाड़ियों को खेल की बारीकियां समझने और तैयारी में मदद मिलेगी। युवा कल्याण विभाग के इससे संबंधित ड्राफ्ट को मंजूरी के लिए उच्च स्तर पर भेज दिया गया है। मंजूरी मिलते ही व्यवस्था लागू कर दी जाएगी।
युवा कल्याण व खेल विभाग मिलकर करेंगे काम
चूंकि ग्रामीण क्षेत्रों में युवा कल्याण व खेल विभाग द्वारा खेल संसाधनों का विकास किया जा रहा है, इसलिए पुराने खिलाड़ियों को जोड़ने की जिम्मेदारी इन्हीं दोनों विभागों को आपसी समन्वय से निभाने को कहा गया है। प्रस्ताव के मुताबिक वॉलीबाल, जेवलिन थ्रो, दौड़, फुटबॉल, हैंडबॉल, कबड्डी व हॉकी के पुराने खिलाड़ियों को तरजीह दी जाएगी।
35 वर्ष तक के खिलाड़ी बन सकेंगे कोच
प्रस्ताव के तहत 35 से 40 उम्र वाले पुराने खिलाड़ियों को ग्रामीण खेल मैदानों में कोच के तौर पर रखा जाएगा। पहले चरण में 86 ग्रामीण स्टेडियमों में इनकी नियुक्ति आउटसोर्सिंग के माध्यम होगी। मानदेय 12000 रुपये प्रति माह रखा गया है।
कम उम्र वालों को प्रशिक्षण
कम उम्र वाले खिलाड़ियों को जरूरत के मुताबिक स्पोर्ट्स कॉलेजों में फिर से दाखिला और जरूरत पड़ने पर इन कॉलेजों में सीटें भी बढ़ाई जा सकेंगी। इनमें ऐसे खिलाड़ियों का चयन होगा, जिनकी उम्र कम है और अधिक समय तक खेलने की क्षमता हो।
वर्तमान समय में केंद्र और प्रदेश सरकार जिस प्रकार से खेलों को बढ़ावा दे रही है उससे यह पक्का है कि यह प्रस्ताव पास हो ही जाएगा। मुझे लगता है कि हमारे खेल मंत्रालय के अधिकारियों को अन्य खेलों के साथ साथ वर्तमान समय में गांव व शहरों में खूब प्रचलित स्केटिंग के खेल को भी अभी प्रोत्साहन देने की जरूरत है। बताते चलें कि इस खेल शामिल बच्चों को बचपन से ही संतुलन बनाना और स्वस्थ व सक्रिय रहने का तरीका बखूबी आ जाता है। और वो निर्भीक व संघर्षशील भी बनते हैं क्योंकि जब अविकसित सड़कों पर यह स्केटिंग मेन भागते हैं तो टैक सब जगह होने के ना चलते गिरकर चोट लगने का खतरा बना रहता है फिर भी पांच साल के बच्चों से लेकर नौजवान खिलाड़ी तक शुरूआती दौर में प्रैक्टिस कराकर कई जोखिम उठाते हैं। बीते दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित अन्य प्रदेशों की सरकार द्वारा स्केटिंग के खिलाड़ियों को भी आर्थिक प्रोत्साहन दिया गया था लेकिन अन्य खेलों को देखें तो यह मात्र उंट के मुंह में जीरे के समान ही है। प्रधानमंत्री जी अन्य खेलों के मुकाबले स्केटिंग के खिलाड़ी समय पड़ने पर अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के चलते देश की रक्षा और दुर्गम मार्गों पर आ जा भी सकते हैं क्योंकि इनके हौसलें और आत्मविश्वास बचपन में मिली टेनिंग से चरम पर पहुंचते हैं। इस बात को ध्यान में रखकर जिला मुख्यालय पर एक टैक स्केटिंग प्रतियोगिता सीखने के लिए होनी ही चाहिए। जबकि स्वतंत्रता संग्राम और धार्मिक दृष्टिकोण से प्रसिद्ध मेरठ जैसे जिले में स्केटिंग का टैक नहीं है। मुझे लगता है कि अगर पहले चरण में जनपद और फिर कस्बों और गांवों तक सरकार खुद या उस क्षेत्र के उद्योगपतियों व शिक्षण संस्थानों से आग्रह कर टैक बनवा सकती है क्योंकि इस पर कोई ज्यादा खर्च नहीं होता। एक समतल सड़क बन जाए और उस पर प्रशिक्षण के समय यातायात ना हो तो स्केटिंग के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण जीतकर ला सकते हैं। स्केटिंग कोच जो अभी तक कई प्रदेश और क्षेत्रीय व नेशनल प्रतियोगिताओं में अपने खिलाड़ियों की सहभागिता करा चुके सुनील गुप्ता का कहना है कि हमारे खिलाड़ी स्केटिंग को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित है। सरकार भी प्रोत्साहन दे रही है। बस थोड़ा सा इस खेल पर ध्यान देकर इसके लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हो जाएं तो हम काफी अच्छे खिलाड़ी तैयार कर सकते हैं। मुझे लगता है कि प्रदेश सरकार को अपने क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारियों को निर्देश देकर इस बारे में संभावनाएं तलाश करानी चाहिए। और पहले चरण में स्केटिंग की जिले से लेकर नेशनल प्रतियोगिताएं किसी भी जिले में आयोजित हो सके। इसके लिए स्टेडियम और खेल मैदानों में इसके लिए टैªक एक किलोमीटर के तैयार करा दिए जाएं तो स्केटिंग के बच्चों का भविष्य काफी सुनहरा हो सकता है।

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