Friday, November 22

सरकार जल्द ले समलैंगिक विवाहों पर फैंसला

Pinterest LinkedIn Tumblr +

पांच जजों की बेंच ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से किया इन्कार इसके पीछे जो तथ्य रहे उनके पीछे के कारणों पर जाने की बजाए मेरा मानना है कि अगर विश्व के 64 देशों में इस तरह के विवाहों पर कठोर सजा का प्रावधान है तो दुनिया के 34 में से 10 देशों में न्यायालय ने सुनाई के बाद समलैंगिक विवाह को मान्यता दी तथा 23 देश ऐसे भी है जहां कानून बनाकर इन विवाहों को मान्यता दी गई है। आस्ट्रेलिया ब्राजील मैक्सिको दक्षिण अफ्रीका कोलांबिया ताइंवान आदि को वैध माना गया है। के अतिरिक्त नीदरलैंड न्यूजीलैंड उसग्रे स्वीडन स्पेन पुर्तगाल नॉर्वे माल्टा लक्समवर्ग आयरलैंड आइसलैंड जर्मनी फ्रांस फिनलैंड डेनमार्क बेल्जियम इक्वाडोर कोस्टारिका स्विट्जरलैंड चिल्ली स्लोवेनिया एंडोरा क्यूबा कनाडा इटली आदि में भी समलैंगिक विवाह वैध माने गये है। इन तथ्यों को ध्यान में रखकर भारत में समलैंगिक विवाहों को लेकर उठी मांग पर स्पष्ट फैंसला होना ही चाहिए। माननीय सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के संविधान पीठ के फैंसले के बाद अब संसद ले फैंसला और बनाये कानून क्योंकि अब इस मामले की गेंद उसके पाले में आ गई है।
पुरानी परंपराओं और सोच के व खबरों के हिसाब से भले ही समलैंगिक संबंध छिपे और ढके रूप में होते रहे हो लेकिन समाज में इसे पूर्व कभी मान्यता नहीं दी गई। और सही बात तो यह है कि जब हमारे यहां संवैधानिक रूप से वैवाहिक परंपरा चली आ रही है तो इन संबंधों की कोई महत्वता नहीं है। लेकिन हर क्षेत्र में दी जा रही नई नई छूट और लिये जा रहे निर्णय तथा मानवीय अधिकारों को मिल रही महत्वता कुछ ऐसे बिन्दु है जिन्हे ध्यान में रखकर सोचा जाए तो जिस प्रकार से समलैंगिक और लेसबिन की संख्या बढ़ रही है उसके देखते हुए अब संविधान निर्धारण करने वाले उच्च सदन को इस संदर्भ में भी स्पष्ट निर्णय कर फेंसला लेना चाहिए। लेकिन इससे पूर्व समाज में यह चर्चा जरूर कराई जानी चाहिए कि आखिर इस फेबर में कितने लोग है। क्योंकि कुछ लोग महिला हो या पुरूष ऐसे मामलों में खुलकर बोलने के साथ ही स्पष्ट इसका समर्थन भी कर रहे है। और क्योंकि सबको अपने हिसाब से जीने का अधिकार की बात उठ रही है। तो ऐसे में अब पुरानी पद्धति को थोड़ा नजरअंदाज करना भी गलत नहीं है और वैसे भी सरकार पुराने नियमों और कानूनों में निरंतर रदोबदल करने में तो ही लगी है।
भारत की सबसे तेज महिला धावक दुतीचंद का कहना है कि समलैंगिक विवाह एक दिन वास्तविकता बनेगा तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा फैंसले का स्वागत किया गया है तो मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा ए हिन्द के प्रमुख मोलाना महमूद मदनी ने कहा है कि फैंसला वैवाहिक परमपरिक मजबूती देगा इसके अलावा भी देश में सबकी अपनी अपनी अलग राय है। लेकिन कानून संसद को बनाना है। तो उन्हें ही इस संदर्भ में जल्द से जल्द लेना चाहिए निर्णय। मेरा मानना है कि इस संदर्भ में जो भी फैंसला हो उससे पहले देश भर में पिछले कुछ वर्षों में हवा की रफतार के समान बड़े ओटीपी पर आने वाली बेवसीरिज की संख्या और उनमें अप्राकृतिक यौन संबंध तथा लेसयिन तथा समलैंगिक संबंधों का किया जाने वाले प्रदर्शन पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए क्योंकि ऐसे संबंधों को इनसे भी बढ़ावा मिलता है। और अगर सरकार ऐसा नहीं कर सकती तो इस पद्धति से विवाह करने वालों पर कार्रवाई भी उचित नहीं कहीं जा सकती। बीते दिनों आकाल तत्व द्वारा एक गुरूद्वारे में समलैंगिक विवाह कराने वाले भंटिंडा के सेवादार को अयोग्य ठहराया गया। लेकिन दुनिया में अब जैसा की खबरे पढ़ने सुनने और देखने को मिलती है उससे पता चलता है कि बड़े बड़े पदों पर विराजमान नामचीन लोग भी समलैंगिकों की जमात में शामिल है ऐसे में अब धीरे धीरे अंर्तराष्ट्रीय मुद्दा बनता जा रहे समलैंगिक विवाहों के संदर्भ में सरकार ले जल्द से जल्द फेंसला। क्योंकि इस विषय को लेकर कई बार बड़े बड़े विवाद भी उत्पन्न होने की खबरे भी सुनने और पढ़ने को मिलती है।

Share.

About Author

Leave A Reply