Saturday, July 27

मानसिक रोगों से बचना है तो अपनों से बात करे, पैदल घूमे, अच्छा साहित्य पढ़े और प्रदूषित माहौल से बचे

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कब कौन किस कारण से डिप्रेशन का शिकार और मनौरोगी होगा यह तो कोई भी विश्वास के साथ नहीं कह सकता। लेकिन परेशानियां बिमारी आर्थिक तंगी और समाज की प्रताड़ना एवं परिवार की अनदेखी और एकाएकीपन भी इसका मुख्य कारण बनते है यह बात मैं अपने तुर्जुबे से विश्वास के साथ कह सकता हूं। बाकी इस संदर्भ में सक्रिय विद्ववानों की निगाह में और भी बहुत से कारण हो सकते है।
जैसे देश में कोरोना काल के दौरान उत्पन्न हुए संकटों और बिमारियों के साथ साथ घर में अनकहे रूप से कैद हो जाने के चलते कमजोर मानसिकता या जिन्हें सहयोग नहीं मिल पाया वो लोग बड़ी तादाद में मनोरोगी हुए ये मैंने खुद भी देखा है।
आज हम विश्व मानसिक स्वाथय दिवस मना रहे है। इस संदर्भ में एक खबर के अनुसार
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर, एक नए सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि करीब 90 प्रतिशत भारतीय देश में मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्याओं के लिए आधुनिक जीवनशैली को जिम्मेदार मानते हैं।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस हर वर्ष 10 अक्टूबर को मनाया जाता है। अखिल भारतीय स्तर पर यह सर्वेक्षण स्थान आधारित नेटवर्क ‘पब्लिक ऐप’ के माध्यम से किया गया है। इसमें, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर बातचीत में शामिल होने की लोगों की बढ़ती रूचि का भी उल्लेख किया गया है।
सर्वेक्षण में शामिल किये गए 55 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि वे दोस्तों और परिवार के साथ मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर खुलकर चर्चा करने से सहज महसूस करते हैं। सर्वेक्षण में 4.5 लाख से अधिक लोगों को शामिल किया गया।
सर्वेक्षण के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्याओं के लिए तेज गति वाली जीवनशैली को जिम्मेदार ठहराने वाले लोगों की संख्या कामकाज एवं जीवन के बीच संतुलन और तनाव प्रबंधन को रेखांकित करती है।
सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘‘हमने यह भी पाया कि इसमें शामिल किये 55 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इस पर बातचीत के इच्छुक हैं, जिससे यह पता चलता है कि लोगों की मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
’’ मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के लिए काउंसलिंग कराने या उपचार कराने वाले लोगों की संख्या अब भी कम, 14.66 प्रतिशत है। सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘‘केवल 11 प्रतिशत लोग सरकार की चौबीसों घंटे उपलब्ध मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास हेल्पलाइन ‘किरन’ से अवगत हैं, जिससे पता चलता है कि इसका प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है।
’’ नीतिगत जागरूकता के संदर्भ में करीब 41 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे जानते हैं कि ‘‘भारत में सभी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को अब मानसिक स्वास्थ्य को शामिल करने का अधिकार प्राप्त है।’’ साथ ही, सर्वेक्षण में शामिल किये गये लोगों ने कहा कि उन्होंने मानसिक तनाव घटाने के लिए कई गतिविधियों को अपनाया, जिनमें संगीत सुनना (43 प्रतिशत), ध्यान लगाना (19 प्रतिशत), खेलना (17 प्रतिशत), पढ़ना (15 प्रतिशत) और योग करना (छह प्रतिशत) शामिल हैं।
यह जो आंकड़े है वो भी सही होंगे क्योंकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सुविधाऐं जुटाने की भागमभाग आर्थिक साधनों की कमी और ज्यादा से ज्यादा सुविधाऐं जुटाने की कोशिश पूरी न होने पर व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान होता है और धीरे धीरे कहे अनकहे रूप से हो जाता है मानसिक रोगियों में शामिल।
दोस्तों ना तो मैं कोई चिकित्सक हूं और ना ही प्रेरणास्रोत व्यक्तित्व का स्वामी लेकिन जीवन में आये कष्टो और अपनों को गिरगिट की तरह जो रंग बदलते देखा उससे जो सीख मिली उससे यह समझ आया कि हमें किसी भी चीज की ज्यादा इच्छा नहीं रखने चाहिए और कोई बात पूरी नहीं होती तो उसे भगवान की इच्छा समझकर नजरअंदाज कर देना चाहिए। 1. इसके साथ ही डिप्रेशन और मनौरोगी होने से बचने के लिए अच्छा साहित्य जरूर पढ़े। 2. अपनों से ज्यादा से ज्यादा बातचीत करे और मौका ढूंढकर नये नये विषयों पर चर्चा में भाग ले। 3. पैदल जरूर चले पेट भर पानी पीये 4. लम्बी लम्बी श्वास ले सोते समय हनुमान चालीसा गायत्री मंत्र का जाप या अपनी धार्मिक भावनाओं के अनुसार जाप करे। 5. ताजी हवा में ज्यादा से ज्यादा घूमे प्रदूषित माहौल में रहने से बचे अगर घर में दमघोटू वातावरण है तो बाहर निकलकर थोड़ा घूमे और श्वास ले। 6. अपनों का हाथ पकड़कर घूमे अथवा उन्हें हक करे नाराकारात्मक सोच को अपने पास न आने दे। और कोशिश करे कि अपने आसपास प्रदूषण न फेंलने दे। ये कुछ मेरी अपनी राय है लेकिन बिना चिकित्सक और अनुभवी व्यक्तियों की राय से ऐसा कुछ न करे जो नुकसानदायक हो। लेकिन कुल मिलाकर मानसिक रोगों से बचना है तो ज्यादातर समय काम में लगाने औरों से चर्चा करने की आदत डाले। और आज के इस विश्व मानसिक स्वास्थय दिवस पर यह संकल्प लें कि अगले साल तक हम खुद तो स्वस्थ होंगे ही औरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेंगे। मेरा खासकर केन्द्र और प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्रियों और इस विभाग के अधिकारियों से आग्रह है कि देश और प्रदेश के मानसिक रोगियों को सस्ती चिकित्सा सुविधा और दवाईयां उपलब्ध हो ऐसे प्रयास किये जाए। क्योंकि मानसिक रोग बीमार अगर सही नहीं होगा तो हम कई क्षेत्रों में पिछड़ सकते है। सरकार से अनुरोध है कि मानसिक रोगी से नागरिकों को बचाने के लिए जितने भी उपाय किये जा रहे है चाहे वो किसी भी रूप में हो उनका भरपूर प्रचार प्रसार कर सब तक पहुंचाऐं। और इसके लिए हम सोशल मीडिया और उस पर सक्रिय नागरिकों से मदद ले सकते है।

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